जौनपुर। राम जानकी मंदिर नेवढ़िया के पूज्य संत घनश्याम दास महाराज ने वृहस्पतिवार शाम को विशेष बातचीत मे कहा कि खान-पान की शुद्धता से मन स्वच्छ होगा और साकारात्मक उर्जा के प्रवाह से आदर्श विचार का अभ्युदय होगा जो मानव समाज के लिए हितकारी और मंगलकारी होगा। कहा कि जैसा खायेंगे अन्न वैसा होगा मन। जैसी होगी संगत वैसी होगी रंगत। मन तभी पवित्र होगा जब आहार को भगवान को अर्पण करके जेवा जायेगा। मन के थिर होने पर ही भगवान की लीला घट भीतर झलकेगी,जैसे तालाब का जल है हवा से लहरे उठती रहती है तो कुछ भी नही दिखाई देता। लेकिन जब जल थिर हो जाता है तो जल के अन्दर की चीजे दिखने लगती है। ऐसे ही जब मन विचार शून्य होगा,भाव और कुभाव का अन्त होगा तो परमात्मा का अनुभव मनुष्य को मिलने लगेगा और लीला समझ मे आने लगेगी। उन्होंन कहा आज लोग इतने अहंकार मे है कि खुद को ही सब कुछ समझने लगे है। भगवान से दूरी बना रहे है। जबकि हर क्षण ईश्वर साथ है। उससे जुड़ने की कोशिश लोगो की कमजोर है। जो भगवान से नेह कर लिया और समर्पण भाव से सब कुछ उसी पर छोड़ दिया उसका जीवन सहज हो जाता है। आज मनुष्य जटिलता के बंधन से बधा असहज हो जा रहा है। कहा कि ईश्वर को साकार और निराकार मे बाट दिया गया है। बताया कि बर्फ है। जो पानी से बना है। धीरे,धीरे गलकर पानी हो जाता है। प्रभु अगर निराकार है तो साकार रूप धारण करके धरती के सभी जीवो का भरण-पोषण कर रहा है। भगवान साकार रुप मे धर्म की रक्षा करता है। मानव का कल्याण करता है। वैमनस्यता को मिटाता है। जन,जन मे प्रेम की अनुभूति प्रदान करके ह्रदय देश मे खुद के होने का आभास कराता है। उन्होंन कहा कि भारत के सभी हिन्दूओ को जात, पात को दरकिनार करके समय के अनुसार एकजुट होने की जरूरत है। यदि भारत के सभी हिन्दू एकजुट नही हुए तो वह दिन दूर नही जब जीवन जीने मे बेहद जटिलता होगी और गुलामी का जीवन जीना पड़ सकता है। नाना प्रकार का यातना भी सहना पड़ सकता है। बताया कि हिन्दू और हिन्दुत्व को मिटाने की दुनिया मे गहरी साजिश चल रही है। जेडी सिंह/ कृष्ण कुमार