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Author Archives: jaizindaram

नृत्य ही पूजा, नृत्य ही ध्यान, आम आदमी आज भी नाच रहा है, सभ्य आदमी नाच भूल गया है

*ओशो:-* नाचने का अर्थ, तुम्हारी ऊर्जा बहे मेरे लिए नृत्य ही पूजा है। नृत्य ही ध्यान है। नृत्य से ज्यादा सुगम कोई उपाय नहीं, सहज कोई समाधि नहीं। नृत्य सुगमतम है, सरलतम है।   क्योंकि जितनी आसानी से तुम अपने ...

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ईश्वर की शक्ति से संचालित हो रहा सबका जीवन, अहंकार से बेडा गर्त की ओर

जौनपुर। भगवान की महिमा अपरम्पार है। जिसनें उसे सच्चे दिल से याद किया।उसकी हर मनोकामना पूरी  होती हैं।जिसकी जैसी आस्था होती है उसको वैसा फल मिलता है।विश्व का हर प्राणी उसी का स्वरूप है। जीव आत्माओं से प्रेम करने पर ...

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मन को परमात्मा मे लगाना, ध्यान द्वारा चित्त को एकाग्र करना,योग का अर्थ क्रमशः: समाधि, जोड़ और संयमन होता है

पालघर।मुबंई  योग शब्द का नाम आने पर जनसामान्य में कुछ शारीरिक क्रिया (आसन) की ही अवधारणा का प्रस्फुटन होता है । जो सही नहीं है इसलिये आयें देखें,योग  क्या है?- योग शब्द ‘युज्’ धातु में ‘घञ्’ प्रत्यय लगाने से निष्पन्न ...

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