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अनन्त में समाहित है विज्ञान,सत्कर्म करके कलयुग के प्रकोप से बचा जा सकता है

मड़ियाहू। जौनपुर। अनन्त श्री विभूषित स्वामी प्रमोदानंद महाराज ने कहां कि ब्रम्ह एक है।जो हर जगह विराजमान है। वह अजन्मा है।उसका कभी इति नहीं है।सृजनकर्ता है।संहारक है।सृष्टिकर्ता है।उन्होंने कहा कि मनुष्य को कर्म के साथ सत्कर्म भी करते रहना चाहिए। पूज्य महाराज जी राजापुर नम्बर दो मड़ियाहू में पंडित रामकिकर दूबे के यहां आयोजित श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ  के दौरान विशेष बातचीत में उक्त बात कहीं। उन्होंने कहां कि जब,जब धरती पर अत्याचार बढ़ा है।तब,तब प्रभु धर्म की स्थापना के लिए अवतार लेते आ रहे है।कहां कि चारों युगों के भोग खत्म होने के बाद सृष्टि में प्रलय आ जाता है।शून्यता का दौर रहता है।सिर्फ जल,ही जल का प्रवाह रहता है।अनन्त विज्ञान मठ काशी बनारस  के पूज्य संत ने कहां कि कलयुग में मनुष्य बहुत ही दयनीय दशा को प्राप्त होगा। कलह चरम पर होगा।मानवता पूरी तरह से तार,तार हो जायेगी।नफरत की आग में संसार जलता नजर आयेगा।बचाव के लिए कहां कि भगवान को हर वक्त याद कर इस बला से बचा जा सकता है।उन्होंने कहा कि सत्कर्म करना भगवान के पथ पर चलना है।सत्य बोलना ईश्वर को प्रिय लगता है।झूठ बोलने से मनुष्य का बहुत बड़ी हानि होता है।कहां कि अनन्त में विज्ञान समाहित है।भक्ति, ज्ञान, वैराग्य,तप यही सनातन विज्ञान है।भक्त वेद, शास्त्र के माध्यम से  ईश्वर की अनुभूति करता है।जानता है पहचानता है।फिर ईश्वर का हो जाता है।महाराज जी ने संसार में  बढ़ रहे अत्याचार पर चिन्ता जताते हुए कहां कि मानव कल्याण व धर्म के स्थापना के लिए भगवान कल्कि अवतार लेने वाले है।जेडी सिंह,राजेन्द्र दूबे

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