जौनपुर। भारत देश के आम मतदाताओ को स्वच्छ और पवित्र लोकतंत्र के लिए अपराधी छवि के लोकसभा उम्मीदवारो को मतदान न करके अच्छे चरित्र और व्यवहार कुशल उम्मीदवार को मतदान करना चाहिए। चाहे वह जिस दल के उम्मीदवार हो। एक सोच,एक सृजन के लिए सबको आगे आना होगा। दुष्चरित्र छवि के कुछ राजनीतिज्ञो को मौका है नकारने का। दरअसल भारत की राजनीति मे धनबल,बाहुबल,माफिया,अपराधी प्रवृत्ति काफी हद तक प्रभावी है। जब देश बदल रहा है, सोच बदल रहा है। राम अयोध्या मे प्रतिष्ठापित है तो ऐसे मे एक पावन विचार धारा का प्रवाह बने और सज्जनता का प्रसार हो और दुर्जनता, अनीति मे सने राजनैतिक दलो के कुछ उम्मीदवार हो सकते है। खास तौर पर सभी दलो को इस पर चिन्तन करना चाहिए और स्वच्छ राजनीति की पहल करनी चाहिए। जब योग्य और श्रेष्ठ को चुनेंगे तो एक सामाजिक बदलाव आयेगा। मानवता पर दानवता हाबी नही होगी। अपराध और अपराधी को कही न कही से राजनैतिक प्रोत्साहन मिलता होगा,ऐसी संभावना है। जिताऊ उम्मीदवार की तलाश मे किसी को भी लोकसभा का टिकट देना और चुनाव लड़ाना जो सामाजिक बुराई से जुड़ा हो न्याय संगत नही है। समय आ गया है,स्वच्छ लोकतंत्र, नेक उम्मीदवार ही बनेगे सांसद। जरा सोचिए राजनैतिक दलो के कार्यकर्ताओ के बारे मे पूरा जीवन खपा देते है। कहने के लिए कोई सांसद, विधायक,मंत्री बना हो। अक्सर पार्टी कार्यकर्ता रात, दिन पार्टी के लिए काम करते है। लेकिन कुशल राजनीतिज्ञ पता नही उनको दरकिनार करके लोकसभा का उम्मीदवार उसको बनाते है जिसके पास धनबल की ताकत है। अगर धनबल की ताकत जिसके पास है तो समझिये कही न कही से गंभीर अनीति हुई होगी। अच्छे भी उद्योगपति है जो जनसेवा मे जुटे है। कुछ राजनैतिक धनबली कुरीति से धन कमा सकते है। ऐसी संभावना से इंकार नही किया जा सकता। राजनैतिक दल कुछ कार्यकर्ताओ को पदाधिकारी बनाते है।कार्यकर्ता दायित्व का बखूबी से निर्वहन करता है। चुनाव जब आता है तो कार्यकर्ता भी टिकट की इच्छा रखता है। लेकिन उसको टिकट नही मिलता। क्योंकि तब हैसियत देखा जाता है। गरीब लोकसभा चुनाव नही लड सकता है। राजनैतिक दल टिकट ही नही देगे। यह शौक तो कुछ अमीरो का है। जो देश दुनिया को बदलने की कूबत रखते है। जगदीश सिंह संपादक