जौनपुर। जातिवादी मानसिकता का लोग बोध कराते है। भारत विभिन्न जात,धर्म,पन्थ का देश है। तरह-तरह की विचारधारा है। महापुरुषो की विचारधारा को लोग भुलाकर खुद के विचारधारा और मानसिकता को एक दूसरे पर थोपना चाह रहे है।धार्मिक कट्टरता,जातीय कट्टरता से उत्पन्न नफरत से मानव जल रहा है। प्रेम उपजाना है। प्रेम बरसाना है। सोच सबके प्रति अच्छा होना चाहिए। यह भारत की प्रकृति है।भारत की शान्ति की कामना से ब्रह्माण्ड टिका है। ईश्वरीय विधा मे जल प्रलय का प्राविधान है। जो समय, समय पर होता रहता है। प्रकृति की अपनी गति है। आप चलिए,दूसरे को चलने दीजिए। गति बनाये रखिये। भाव ही भगवान है। जब सब भगवान है। तो नफरत किस बात का। पंचभूत की शरीर है।अपनी बिरादरी मे कुछ सहयोगी तो कुछ रसातल मे पहुंचाने के लिए हर क्षण तैयार है। भिखारी बन रहिये फटे हाल जीवन है तो ठीक है।रसूखदार,धनबल,बाहुबल की ताकत रखने वाले का सुबह शाम सिजदा करिये तो ठीक है इसके इतर है तो फिर उनका दिमाग लगेगा,घर परिवार ही बर्बाद करने के फिराक मे लग जायेगे,गणित फिट करना शुरु करेंगे, कहा से पस्त होकर घुटना टेके,जब थक हार जायेगे तो परिवार के किसी सदस्य पर हमला करवा देगे,हमलावर की भरपूर मदद करेंगे। ऐसा होता है। इसका प्रमाण भी है। इतना जरुर है जाको राखे साइया मार सके न कोय। अपना प्रभु और भगवान स्वरुप शुभ चिन्तक जन भी भरपूर साथ देते है। टूटने और बिखरने से बचा लेते है। हमेशा घाव अपने ही करते है। भले ही अपराधी दूसरे जाति का हो,अपनी बिरादरी के लोग दूसरे अपने ही बिरादरी के लोंगो को दूसरे बिरादर से बेइज्ज करवा रहे है। मौका मिलते ही हमला भी करवा देते है। जातीय बोध मे हर बिरादरी का माफिया,गुन्डा महान है। उसका गुणगान है। अपनी बिरादरी के अलावा दूसरे बिरादरी के कुछ लोग अपमानित करके अपने जाति का बडप्पन दिखाते है। वर्तमान समय मे जातिवाद चरम पर है। जिसमे सबका अपना,अपना मतलब है। आखिर ऐसे दौर मे इन्सान जीये तो जीये कैसे। जेडी सिंह संपादक सतगुरु धाम बर्राह रामनगर जौनपुर