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भाजपा का भयमुक्त, भष्टाचार मुक्त नारा थोथा साबित हो रहा, काशी की सनातन संस्कृति को लेकर बनारस चिन्तित

दिल्ली। भाजपा का भयमुक्त, भष्टाचार मुक्त का नारा थोथा साबित हो रहा है, हालांकि वर्षों का कोढ़ साफ करने का  प्रयास किया जा रहा है।देखिए कब तक रामराज्य आता है। सबका साथ,सबका विकास की कोशिश है। सोच बदल रहा है।देश.बदल रहा है। अनैतिकता बढ़ी है। सांसद,विधायक, मंत्री के कार्यों से लोग असन्तुष्ट  है। ये महानुभाव, कुछ भाजपा नेताओं, कार्यकर्ताओ, और खास किस्म के चम्चों से घिरे है। जनता से आत्मीय जुडा़व नहीं बन पा रहा है।भाजपा में बहुतायत उपेक्षित है। उत्तर प्रदेश के गांवों के बाजारों, खेतों, खलिहानों, बाग,बगीचों, मे ग्रामीण चर्चा करते सुने जा रहे है कि देश को दो गुजराती चला रहे है। मोदी और अमितशाह  की देश की सत्ता मे  चल रही है। इनके निर्णय सर्वोपरि है। यूपी मे इस जुगुल जोडी की खूब चर्चा है।सपा और बसपा ने ऐसे ही गठजोड़ नहीं किया है। देश के इन दो दिग्गज नेताओं को घेरने के लिए यूपी ने कमर कस लिया। भारत देश के उत्तर प्रदेश ने तमाम प्रधानमंत्री दिये है। मोदी प्रधानमंत्री है।काशी विश्वनाथ की देन है।बंम बंम है।दुनिया मे जयकारा है।लेकिन अब काशी खिन्न हो रहा मोदी जी से।सनातन धर्म की संस्कृति, ईश्वरीय बोध को बिनष्ट करने की कुचेष्टा की गयी। काशी दर्शन,शिव महात्म से छेडछाड़ क्योटो शहर बनाने के पहल से हो रहा है। ज्ञानी, ध्यानी,अवघडी मत के लोगों मे मोदी को लेकर चर्चा शुरू हो गयी है।सबका मालिक एक ।जेडीसिंह  संपादक सतगुरु दर्पण सतगुरु धाम जौनपुर।

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