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संसार का कोई भी व्यक्ति वर्तमान परिस्थिति से संतुष्ट नही, जब हमारा वर्तमान सुखी नही तो आगे सूख कैसे होगा
*ॐ श्री सत गुरुदेव भगवान की जय ।*
*ॐ श्री परमात्मने नमः ।।*
*ईश्वर कहां रहता है ?*
*और उसे कैसे पाएं ?*
शक्तेषगढ। मिर्जापुर। परम पूज्य संत स्वामी अड़गडानंद जी महराज के शिष्य लाले बाबा ने कहां कि यदि इस मानव तन से हमने दुखों से मुक्त होने का प्रयास नहीं किया तो फिर किस तन से करेंगे । संसार का कोई भी व्यक्ति वर्तमान परिस्थिति से संतुष्ट नहीं है । उससे आगे जाने के लिए अनवरत प्रयत्नशील है । यदि अगला जन्म भी मनुष्य को ऐसा ही मिली तो उसमें सुख कैसे प्राप्त हो सकता है । जब हमारा वर्तमान ही सुखी नहीं है तो फिर आगे सुख कैसे होगा । क्योंकि हमने सुख के मार्ग पर कभी कदम रखा ही नहीं । भोगों का मार्ग दुख का मार्ग है , ईश्वर का मार्ग सुख का मार्ग है । इसलिए यदि हम सुख चाहते हैं तो वह निश्चित ही ईश्वर के मार्ग चलकर ही मिलेगा क्योंकि उस मार्ग पर दुख की छाया भी नहीं पड़ती , लेकिन हमारा प्रश्न अभी भी वही है कि यदि सुख का मार्ग ईश्वर का मार्ग है तो कोई मनुष्य उस पर कैसे चले ?
ईश्वर प्राप्ति के लिए रास्ता किसी सद्गुरु के माध्यम से होकर जाता है । यदि श्रद्धा और विश्वास के साथ सद्गुरु की जो भी सेवा बंन पड़े करते हुए दो ढाई अक्षर का नाम ॐ अथवा राम जप करते रहने से उस ईश्वर की जागृति हो जाती है । उसकी प्राप्ति के बाद उसके निर्देशन में चलते हुए मनुष्य अपने जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है जहां-