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हाजी अली की इबादत मे सागर नतमस्तक, सभी धर्मों के लोग टेकते है माथा, सबकी होती है मुराद पूरी,ईश्वर समुद्र के समान,संसार उसकी लहरें

मुंबई। भारत देश की विश्व मे गरिमा है। सदैव यह देश शांति का पक्षधर रहा है।विश्व शान्ति और सबका कल्याण हो ऐसी भावना लोगों के दिल मे रहता है।धर्म प्रधान देश मे सभी धर्मों को जानने,मानने वाले लोग है। सबकी अपनी -अपनी आस्था अपने धर्मों को लेकर है।संततत्व का भाव आज भी हमें दया,दीनता,करुणा,आपसी भाईचारा,का संदेश देता है। हिन्दू, मुस्लिम, सिख,ईसाई आपस मे है भाई -भाई है। संत हमें इंसानियत और मानवता से जीने का सीख देते है। गत शनिवार को लोकदल पार्टी के राष्ट्रीय सचिव घनश्याम दूबे,साहब के साथ  वर्ली के सागर मे स्थित हाजी अली के दरबार मे माथा टेकने का अवसर प्राप्त हुआ। समुद्र का नजारा और आस्था की डूबकी मे न जाने मन कहां खो गया।दिव्य अनभूति मे यह एहसास हुआ कि सबका कल्याण, करने वाले सूफी संत हाजी अली की महिमा निराली है। दरगाह मे इबादत कबूल हुई। समुद्र की लहरें ऐसा मानो कह रहीं है,हाजी अली, साक्षात अदृश्य शक्ति है। विराजमान है। उनकी उपस्थित है, तभी सागर नतमस्तक है। लोकदल के राष्ट्रीय सचिव घनश्याम दूबे ने इस परिपेक्ष्य मे बताया कि सूफी संत सभी धर्मों का आदर करते है। एक ईश्वर मे आस्था रखते है। हिंदू, मुस्लिम, सिख,ईसाई को एक परमात्मा की संतान मानते है।उनकी दृष्टि मे ईश्वर, अल्लाह एक ही है।सूफियाना मौज मे ईश्वर और संसार का संबध समुद्र और उसकी लहरों जैसा है।ईश्वर समुद्र के सामान है और संसार उसकी लहर के जैसा है।सूफी संत अली शाह बुखारी की दरगाह पूरे विश्व के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केन्द्र है। एक बार हाजी अली के दरगाह पर वहां का नजारा देख अचरज होता है,समुद्र मे दरगाह, लहरों के बीच पूरी तरह से सुरक्षित है यह अपने आप मे किसी अजूबे से कम नहीं है।यही से लोगों की आस्था मजबूत होता है। जिसका लोगों को लाभ मिलता है तभी तो सभी हाजी अली के दरगाह मे माथा टेकते है। दास जगदीश, सतगुरु धाम ,संपादक सतगुरु दर्पण

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