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जो होना है होगा, एतिहात के तौर पर सावधानी जरुरी,प्रकृति ही सब कुछ है जो चाहती है वहीं होता है, सबका अपना -अपना प्रारब्ध है, महाबीर दास

ठाणे।मुबंई।पोखरण रोड के खोपट मे स्थित कबीर मठ के महन्त महाबीर दास जी ने बातचीत के दौरान बताया कि प्रकृति की अपनी लीला है।जिसे समझ पाना बडा़ मुश्किल है। जो भटकाव की ओर है उसे समझ मे नही आयेगा।जो धर्म पथ पर है।साधक है।साधना कर रहा है।वह प्रकृति के साथ चल रहा है।उन्होंने कहा कि सत्य नाम सिर्फ प्रभु का है। स्थितियां,परस्थितियां सब समय का चक्र है।कोई कुछ करता नहीं समयानुसार सब हो जाता है।एक दृषटान्त के माध्यम से उन्होंने कहां कि एक राजा थे।उनके राज्य में एक ब्राह्मण रहता था। ब्राह्मण को इच्छा बनी भविष्य वाणी करने का।इतने में एक सांप दिखाई पडा और बोला कि राजन ज्योतिषी ही भविष्यवाणी करते है। आपको तो ज्योतिष का ज्ञान है नही।ब्राहम्ण बहुत फेर मैं पडा अब क्या करु।सांप ने कहां घबराइए नही। राजा से जाकर कह दीजिए फला तारीख को भीषण वर्षा होगी।जिससे राज्य मे काफी क्षति होगी। पंडित ने भविष्य वाणी की।समय आने पर मूसलाधार वर्षा शुरु हुई।राजा को पहले से जानकारी होने से वरषा से राज्य मे  उतनी तबाही न हो सकी जितनी होनी थी।पंडित जी का जलवा कायम। राजा खुश होकर काफी दान-दक्षिण किये।इधर पंडित जी को डर था कहीं पोल न खुल जाय। हमने तो भविष्यवाणी की नहीं।सांप को मारने की युक्ति बनाने लगे।राजा से बोले पानी डरम मे भरवाकर भेजवाइये।राजा का आदेश हुआ।कई डरम पानी वाहन पर लादकर लाया गया।ब्राह्मण ने राजा के आदमियों से कहां इस बिल मे पानी डालो।जिस बिल में सांप रहता था कई डरम पानी डाला गया।पंडित जी बेहद खुश हुए अब तो सांप मर गया होगा। घर आये और राजी खुशी से रहने लगे। धीर धीरे राजा का दिया धन समाप्त हो गया।फिर भुखमरी।उसी स्थान पर पंडित जी फिर आये जहां सांप मिला था। आते देख सांप फिर प्रकट हुआ और बोला राजा को बताईये इस बार आपके राज्य में अग्नि वर्षा होगा। समय भी बताया।पंडित जी ने  भविष्यवाणी की सत्य हुआ।समय पर अग्नि की वर्षों हुई। सतर्कता की वजह से राज्य मे नुकसान नही हुआ। राजा ने पंडित जी की झोली भर दी।खुशी का ठिकाना न रहा।ब्राह्मण को डर सता रहा था।इस बार पंडित जी ने कई मन चईला राजा से कहकर मगवाया।सांप के बिल के पास लकडी का ढेर लगवाकर आग लगवा दिया।फिर सोचा की सांप का तो कहानी खत्म। पंडित जी वापस घर आये।कुछ दिन बीता। खजाना खाली।पंडितानी ने पंडित जी को गेर मे लिया।जाओ कुछ लाओ। पंडित जी फिर वहीं गये। सांप प्रकट हुआ और बोला राजा से कहिए कि आपके घर पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी। बात सच हुई। ब्राह्मण देवता का फिर क्या पूछना। राजा ने ब्राह्मण को ढेर सारा दान दक्षिणा देते हुए और इच्छा जाना।पंडित जी ने राजा से कहां फूल,इत्र,दूध,मलया चंदन मगवाया जाय। सब कुछ आया।पंडित जी राजा के कारिन्दों के साथ नागराज के स्थान पर पहुंचे। इत्र का छिडकाव हुआ।दूध जगह -जगह रंखा गया। फूल का छिडकाव हुआ।मलया चंदन मिट्टी मे मिश्रण किया गया।नागराज प्रकट हुए।पंडित जी बहुत ही लज्जा भाव मे कहने लगे हमने आप के साथ अन्याय किया। नागराज ने कहा ब्राहमण देवता जो करता है प्रकृति करता है। निमित्त बनाकर प्रकृति ने आपको यहां तक लाया।संसार.की अपनी गति है।जो होना है होगा। एतिहात के तौर पर सावधानी जरुरी। इस अवसर पर लोकदल पार्टी के राष्ट्रीय सचिव घनश्याम दूबे जी भी उपस्थित रहे। जेडीसिंह संपादक सतगुरु दर्पण जौनपुर। हर हर महादेव

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