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जिसके पास गुरु नही, उसका जीवन अभी शुरु नही

🍁🍁🕉श्री परमात्मने नमः 🙏🙏🍁🍁

 

गोस्वामी तुलसीदासजी ने एक बड़ी गूढ़ बात कही है

रवि पंचक जाके नहीं, ताहि चतुर्थी नाहिं।

तेहि सप्तक घेरे रहे, कबहुँ तृतीया नाहिं।।

 

गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज कहते हैं कि जिसको रवि पंचक नहीं है, उसको चतुर्थी नहीं आयेगी। उसको सप्तक घेरकर रखेगा और उसके जीवन में तृतीया नहीं आयेगी।

मतलब निम्नलिखित है, ध्यान से समझिये —

रवि -पंचक का अर्थ होता है – रवि से पाँचवाँ यानी गुरुवार ( रवि , सोम , मंगल , बुद्ध , गुरु ) अर्थात् जिनको गुरु नहीं है , तो सन्त सतगुरु के अभाव में उसको चतुर्थी नहीं होगी।चतुर्थी यानी बुध ( रवि , सोम , मंगल, बुध ) अर्थात् सुबुद्धि नहीं आयेगी। सुबुद्धि नहीं होने के कारण वह सन्मार्ग पर चल नहीं सकता है। सन्मार्ग पर नहीं चलनेवाले का परिणाम क्या होगा ? ‘ तेहि सप्तक घेरे रहे ‘ सप्तक क्या होता है ? शनि ( रवि , सोम मंगल , बुध , बृहस्पति , शुक्र , शनि ) अर्थात् उसको शनि घेरकर रखेगा और ‘ कबहुँ तृतीया नाहिं।’ तृतीया यानी मंगल ( रवि , सोम , मंगल )। उसके जीवन में मंगल नहीं आवेगा ।

 

जिसके जीवन में गुरु नहीं।।

उसका जीवन अभी शुरु नहीं।।

  • साभार यथार्थ गीता

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🍁🍁🕉श्री सद्गुरु देव भगवान की जय 🙏🙏

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