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समय के बिना किसी की इच्छा पूर्ण ही नही हो सकती,जीवन की चाह ही पूर्व जन्म का कारण,मृत्यु के क्षण भी जीने की लालसा

||🚩🚩ll ऊँ जय गुरूदेवम् ll🚩🚩||

******* पूनर्जन्म! ही दुख का घर है , और जीवन की इच्छा ही पूनर्जन्म का कारण है । इच्छाओं की तृप्ति के लिए प्रायाप्त समय चाहिए । एक इच्छा अभी पूरी भी नही हुई कि दस इच्छाओं का जन्म हो जाता है और किसी भी इच्छा की पूर्ति के लिए समय चाहिए , अन्यथा इच्छा पूरी ही नही हो पाएगी ।

******** इच्छा या कामना के लिए भविष्य चाहिए, आने वाला कल चाहिए ….क्योंकि किसी को यदि पता चल जाए कि वह इसी क्षण मरने वाला है तो उसके लिए इच्छा करना व्यर्थ हो जाएगा । इसलिए समय ही महत्वपूर्ण है , समय के बिना किसी की कोई भी इच्छा पूर्ण हो ही नही सकती । हमारी हर एक इच्छा , दस नये इच्छाओं को जन्म देती है । मजे की बात ये कि पूरे जीवन हम उन्हें ही पूरा करने की कोशिश मे लगे रहते हैं ,और आखिर में पाते हैं कि कोई भी इच्छा पूरी तरह पूर्ण नही हो सकी । यहाँ तक की मृत्यु के क्षण मे भी जीवन की लालसा रखते हैं ….परिणाम स्वरूप पुनर्जन्म स्वाभाविक प्रक्रिया बन जाती है ।

*शक्तेषगढ।मिर्जापुर।******* समाधि की उपलब्धता में जीव के भीतर से समय निकल जाता है , क्योंकि जिसके भीतर समाधि फलित होती है उसके भीतर कामनाओं की दौड़ नहीं रह जाती । जब इच्छा ही मर जाएगी तब समय की आवश्यकता ही क्यों रह जाएगी । समाधि का क्षण अनन्त होगा , फिर पुनर्जन्म नहीं होगा । इसी सच्चाई को महापुरुष समाज को बताना चाहते हैं । जिसने समझ लिया उसे कोई भटका ही नही सकता । जिसने नही समझा वह तो भटकता ही रह जाएगा । सतंसंग ग्रुप यथार्थ क्या है। जेडीसिंह सतगुरु धाम

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