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प्रत्येक जीव उत्तम ब्यवस्था एवं रहन ,सहन खान ,पान के अन्तर्गत सुख मानता है, इसलिए पशु सूखी घास की अपेक्षा हरी घास अधिक पसंद करते है
*ॐ श्री सत गुरुदेव भगवान की जय ।*
*ॐ श्री परमात्मने नमः ।।*
स्वतंत्र अग्रहरी
*।। सुख की खोज ।।*
प्रत्येक जीव उत्तम व्यवस्था एवं रहन-सहन खान-पान के अंतर्गत सुख मानता है । इसलिए पशु सूखी घास की अपेक्षा हरी घास अधिक पसंद करते हैं । आप एक तरफ सूखी घास अथवा सूखा भूसा एवं ताजी हरी घास रख दे, सबसे पहले पशु अन्य मिश्रित भूषा एवं ताजी हरी घास को खाएगा । क्योंकि उस भोजन में उसे सुख महसूस होता है । आनंद आता । खुले पशुओं को आपने देखा होगा व्ह सूखे स्थान में ही बैठते हैं । क्योंकि ऐसी जगह में उन्हें सुख मिलता है । यह सुख भी परतंत्र है । उन्हें कोई भी आकर वहां से भगा सकता है । पालतू कुत्तों को आपने देखा होगा अधिकांश मुलायम सोफे बैठना पसंद करते हैं । अच्छा खान-पान रहन-सहन वह भी पसंद करते हैं । पालतू पशुओं में ऐसे बहुत कम होंगे जिन्हें अपनी पसंद का भरपूर भोजन एवं रहन सहन मिलता हो ।
आप मनुष्य को ही देख ले , एक थका हारा चिंताओं से एवं समस्याओं से परेशान कर्मचारी ईश्चित समय तक विश्राम नहीं कर सकता । उसे निर्धारित समय पर काम पूरा करना होता है ।यही नियम लगभग प्रत्येक व्यक्ति के साथ लागू होता है । मनुष्य जितनी देर तक आराम करना चाहता है । उतनी देर तक मनोरंजन एवं आमोद-प्रमोद के बीच रहना चाहता है । जैसा रहन सहन एवं वातावरण चाहता है । उसे उसकी निर्धारित सोच के अनुसार कुछ भी नहीं मिल पाता । इसलिए उसका भी सुख परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़ा हुआ प्रतीत होता है ।