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असतित्व उनकी सुरक्षा करता है जो सत्य की खोज मे है,धीरे धीरे तुम्हें दिखेगा कि तुम गिर नही सकते

तुम्हें एक और बहुत ऊँचे नियम का पता नहीं कि अस्तित्व उनकी सुरक्षा करता है जो सत्य की खोज में हैं।

धीरे-धीरे तुम्हें दिखेगा कि तुम गिर नहीं सकते;

अस्तित्व उसकी अनुमति नहीं देगा।

अस्तित्व विवेक रहित नहीं हैं।

तुम एक ऐसे अस्तित्व में नहीं जी रहे हो जिसके पास विवेक नहीं हैं।

यह शुद्ध विवेक है जिससे अस्तित्व बना है।

प्रेम कहो इसे,

मौन कहो इसे,

शून्यता कहो इसे ,

 लेकिन हर चीज में स्मरण रहे अस्तित्व का अपरिसीम विवेक उपस्थित है।

और

एक बार तुमने श्रद्धा की कला सीख ली कि तुम समस्त भयों के पार हो।

और

जब मैं यह कह रहा हूँ कि यह निपट गारन्टी है,मैं इसे अपने अनुभव से कह रहा हूँ।

मैं इन्हीं भयों से गुजरा हूँ।

और

जैसे ही मैं एक ख़ास सुरक्षा के प्रति सजग हुआ जो मुझे चारों ओर से घेरे हुए है,

मैं विश्रांत हो गया।

फिर मैं इस तलवार की धार पर,इस संकीर्णतम संभव मार्ग पर आँखें मूंद कर बढ़ सका।

दरअसल,

अधिकांश लोग जो पँहुचे हैं,बन्द आँखों से ही पहुँचे हैं।अंतिम तल पर श्रद्धा इतनी गहन हो जाती है कि कौन फ़िक्र करता है इधर-उधर देखने की।

आँखें अपने आप बन्द हो जाती हैं,

रंगबहादुर सिंह

|| ओशो ||

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