सतगुरु धाम।जौनपुर। इन्सान अपने मूल से हटकर भौतिकवादी सुख पाने की चाहत मे भटक रहा है।उसे यह पता होना चाहिए मानव तन मिला क्यों है। जो वर्तमान मे चल रहा है यही सत्य है। ऐसा ही आगे रहेगा। धन,दौलत वाले ही आज सम्माननीय है उनकी ही चारो तरफ पूछ है। उनके आगे पीछे चलने वालो की कमी नही है।यह बिल्कुल सत्य है कि सम्पन्नता के शिखर पर पहुंचने वाले लोग ही अनैतिकता को बढ़ावा दे रहे है। अन्याय चरम पर है।न्याय सिसक रहा है। अन्यायियों के साथ लोग है।न्याय के साथ सिर्फ है तो परमात्मा है। ईश्वर न्याय, अन्याय का साक्षी है। सब कुछ.वह देख रहा है। परमात्मा के कैमरे की नजर सब पर है। मनुष्य इतना अहंकारी और स्वार्थी होता जा रहा है कि अपने बल के आगे उसे दूसरे का बल नही दिख रहा है।अपने को धनवान, गुणवान समझ ,समझ कर फूले नही समा रहा है।महज ,यूपी और बिहार देश के ऐसे प्रदेश है जहां जात,पात को लेकर आपस मे नफरत है। पहले ऐसा नही था। गांव मे रहने वाले लोगों मे मानवीय संवेदना थी।मानवता और इंसानियत की बात होती थी।गांव मे चाहे जो जिस जाति का होता था,उसका जो पद लगता था उसी हिसाब से बुलाया जाता था। नाम नही लिया जाता था। यदि कोई पद मे बंबा लग रहा है तो उसे लोग बंबा कहकर बुलाते थे। ईसी प्रकार चंचा,चाची,भईया,भाभी,जीजा,जीजी,फूआ,फूफा मंमा,मामी,नंना नानी कहकर बुलाने की परम्परा आज भी है। पहले लोग धर्म पर चलते थे।लेकिन आज धर्म कम अधर्म ज्यादा हो रहा है। मनुष्य का मूल है।परमात्मा को याद करना और उसके साथ जुड़कर खुद और दूसरे को भी भगवान के प्रति जगाना है।ईश्वर आनंद का सागर है,हर जीव उसी का अंश है।क्यों न हम भी आनंद के सागर मे डुबकी लगाने का यत्न करें। जगदीश सिंह संपादक सतगुरु दर्पण, सतगुरु धाम बर्राह जौनपुर