दिल्ली। सत्यमेव जयते (संस्कृत विस्तृत रूप: सत्यं एव जयते) भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य है।[1] इसका अर्थ है : सत्य ही जीतता है / सत्य की ही जीत होती है। यह भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के नीचे देवनागरीलिपि में अंकित है। यह प्रतीक उत्तर भारतीय राज्यउत्तर प्रदेश में वाराणसी के निकट सारनाथ में 250 ई.पू. में सम्राट अशोक द्वारा बनवाये गए सिंह स्तम्भ के शिखर से लिया गया है, लेकिन उसमें यह आदर्श वाक्य नहीं है। ‘सत्यमेव जयते’ मूलतः मुण्डक-उपनिषद का सर्वज्ञात मंत्र 3.1.6 है।[1] पूर्ण मंत्र इस प्रकार है:
- सत्यमेव जयते नानृतम सत्येन पंथा विततो देवयानः।
- येनाक्रमंत्यृषयो ह्याप्तकामो यत्र तत् सत्यस्य परमम् निधानम्॥[2]
‘सत्यमेव जयते’ को राष्ट्रपटल पर लाने और उसका प्रचार करने में मदन मोहन मालवीय (विशेषतः कांग्रेसके सभापति के रूप में उनके द्वितीय कार्यकाल (१९१८) में) की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
चेक गणराज्य और इसके पूर्ववर्ती चेकोस्लोवाकियाका आदर्श वाक्य “प्रावदा वीत्येज़ी” (“सत्य जीतता है”) का भी समान अर्थ है। साभार वीकिपीडिया, प्रस्तुति जेडीसिंह राष्ट्रीय हिन्दू युवा वाहिनी संगठन मंत्री भारत। सतगुरु धाम बर्राह जौनपुर