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विश्वनागंज मे बही कवियो की कविता की रसधार,श्रोता आनंद से हुए भाव विभोर

विश्वनाथगंज। प्रतापगढ़। स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर  में आयोजित कवि सम्मेलन में कवि और शायरों ने जमकर समा बांधे ओज रस श्रृंगार व सामयिक रचनाओं की घड़ी में श्रोता सारी रात आनंद की गंगा में डुबकी लगाते रहे। कवि सम्मेलन की शुरुआत सपना मिश्रा के सरस्वती वंदना से हुई। इसके बाद कुमार विकास ने कई शायरी व गजल प्रस्तुत कर कार्यक्रम को ऊंचाइयों तक ले जाने का प्रयास किये। मीरा तिवारी ने नारियों की वेदना को प्रस्तुत करते हुए यह भी कहा कि बिना बेटियों के समाज का उत्थान संभव नहीं है। सुधीर रंजन द्विवेदी ने अपनी सामयिक रचना व गीत प्रस्तुत किये। शीतला प्रसाद सुजान का गीत कागा मोरी अटरिया ना बोल मोदी गरीबी की पोलिया ना खोल खूब सराहा गया । गजेंद्र सिंह विकट ने  राष्ट्रीय एकता पर कहा कि मैं अपने मुल्क को अमन .अमन कर दूंगा वतन के नाम पर कुर्बान जान कर दूंगा। प्रज्ञा तिवारी नारी उत्पीड़न के चर्चा कुछ इस अंदाज में करते हुए कहा कि बहती दरिया के रुख को तोड़ने की मत सोचो, कोई चादर है उड़ने की मत सोचो, कली होती है जमाने को महक देने को तुम इन्हें प्यार दो तोड़ने की मत सोचो । इसके पूर्व कैबिनेट मंत्री राजन प्रताप सिंह के प्रतिनिधि के रूप में भाजपा नेता अजय प्रताप सिंह मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किये। उन्होंने कहा साहित्यकार निस्वार्थ भाव से आपसी सद्भाव एवं सामाजिक सौहार्द की बात करता है साहित्यकार एवं लोक परंपरा को जीवंत रखने के लिए उन्होंने आगामी वर्ष में विश्वनाथगंज महोत्सव कराने की बात कही।अध्यक्षता अमेठी से आए हुए कवि सुधीर रंजन द्विवेदी एवं संचालन अनूप अनुपम ने किया । अंत में आयोजक शिव शंकर सिंह ने आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया । इस दौरान प्रधान प्रमोद मिश्र  सरदार, सूर्यभान सिंह, राधेश्याम सिंह, रामचंद्र मिश्र शास्त्री, हरिप्रसाद, नवीन सिंह, त्रिलोचन सिंह अजय क्रांतिकारी रोहित सिंह सहित तमाम लोग मौजूद रहे। विश्वनाथगंज से पत्रकार रोहित सिंह की रिपोर्ट

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