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पुलिस से जनमानस आखिर इतना डरती क्यों है का सवाल,देखिये जबाब मे नेवढ़िया थानाध्यक्ष ने क्या कहा

जौनपुर। मानव जीवन मे डर जन्मजात है।मनुष्य के विभिन्न स्वभावो मे यह एक है। मनुष्य मे डर पैदा किया जाता है। बहुत पहले बच्चो को मा लोरी गा के सुलाती,बाद मे यह भी कहा जाने लगा बच्चा सो जा,साधु पकड़ ले जायेगा,बीगवा उठा ले जायेगा। अब बच्चो को कहा जाता है दूध पी लीजिए नही तो गुग्गू पकड़ ले जायेगा, बच्चो को सुलाने के लिए,दूध पिलाने के लिए डरवाया जाता रहा है। आज भी बच्चो को डरवाया जाता है। जीवन का पथ सुगम बने,योग्यता का विकास हो,इसके लिए भी डर के भाव को जुबान पर लाया जाता है। भय से प्रीति भी बढ़ती है। धरती का कौन सा ऐसा जीव है जो न डरता है।प्राकृतिक तूफान, बिजली की चमक,तेज बारिश ,जीवन मे लोग डर, डर के चल रहे है। डर बना है। जो निकल नही रहा है। हम इन्सान एक दूसरे को डरवाकर दबाकर अपने को साबित कर रहे है। हम भी कुछ है। कही डर जायज है तो कही नाजायज,कल्याण के लिए डर दिया जाना जरुरी है। अकल्याण का डर नाजायज है। निर्भीक रहना कठिन है। बहुत बड़ी साधना है। मन भी डरवाता है। डर के आगे जीत है। इसकी अपनी अलग थियूरी है। अभी कुछ दिनो पहले भेट मुलाकात कार्यक्रम के तहत गत शनिवार को जिले के नेवढ़िया थाने के थानाध्यक्ष अमित कुमार पाण्डेय से बातो,बातो मे ही एक सवाल किया,पुलिस का जनमानस मे इतना डर क्यों रहता है। जबाब मे उन्होंन कहा कि डर मनुष्य का स्वभाव है। पुलिस से आज के समय मे कोई नही डरता। जनता व पुलिस का जुड़ाव है। कानूनी प्रक्रिया का डर होता है। जो गलत होगा,वह पुलिस से डरेगा। डर की बात करे तो पुलिस से हर कोई डरता है। पुलिस की वर्दी की गरिमा है जो सत्य को सारगर्भित करती है। वर्दी का तो डर है। सुकून और शान्ति बहाली के लिए पुलिस गश्त करती है। लोंगो मे डर का माहौल बनता है। पुलिस आ रही है। ग्रामीण परिवेश मे जब कोई बात होती है हल्का सिपाही अपने स्तर से मामले को निस्तारण का प्रयास करते है। जब मामला सुलझने के बाद उलझता है तो हल्का सिपाही जहा बोले थाने आइये बड़े साहब बुलाये है। इतने मे डर उत्पन्न होता है। लोग जाना नही चाहते। मामला सटल हो जाता है। अक्सर मामलो मे मामला अगर बहुत गंभीर नही है थानेदार दोनो पक्षो मे बातचीत करके संतुष्टि के आधार पर समझौता करवाते है। व्यक्ति अपने बुरे कर्म से भी डरता है। ऐसा लगता है डर एक स्वभाविक प्रक्रिया है। लेकिन ऐसे भी बहुतो लोग है जो निर्भीक होकर ईश्वर को कर्ता मानते हुए निडर जीवन यापन कर रहे है। पुलिस दुख का साथी है। जीवन मे आफत विपत्त आने पर सबसे पहले व्यक्ति पुलिस के पास जाती है। जेडी सिंह संपादक

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