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सतसंगी का अंहकार टूटा और वह रो पडा़ मैं तो कुछ भी नहीं

एक बार एक सतसंगी को अहंकार हो गया कि
मेरे जैसा भजन सिमरन करने वाला कोई नही तो उसके गुरू ने उसको कहा कि बेटा
एक जंगल में एक दरख्त पर मेरा एक सेवक
पक्षी बैठा है, उसको तू देख कर अा कि उसको  कुछ तकलीफ तो नही, जब वो गया तो उसने पक्षी से पूछा कि मैं तुम्हरी कोई मदद कर सकता हूं। पक्षी बोला कि तुम क्या मेरी मदद कर सकते हो वो बोला
कह कर तो देखो पक्षी ,वो दूर पानी का तालाब है ,उसको यहां ले अाओ, क्योकि जब मैं वहां पानी पीने जाता हू,इतनी देर में मेरा सिमरन टूट जाता है, सतसगीं रो पडा़ मैं तो कुछ भी नही।
राधा स्वामी जी

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