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जिस भौतिक खोज को मनुष्य ज्ञान मानता है उस ज्ञान का परिणाम बिनाश एंव तबाही है
*ॐ श्री सत गुरुदेव भगवान की जय ।*
*ॐ श्री परमात्मने नमः ।।*
स्वतंत्र अग्रहरि की फेसबुक पर पोस्ट
मनुष्य जबसे अस्तित्व में आया है तब से कुछ ना कुछ खोज निरंतर जारी है । बुद्धिजीवी वर्ग इस भौतिक खोज को ही ज्ञान मानता है , इसी माध्यम से वह मानव जाति को सुख शांति एवं एकता का संदेश देना चाहता है , जो सर्वथा असंभव है । क्योंकि जिस भौतिक खोज को मनुष्य ज्ञान मानता है उस ज्ञान का परिणाम विनाश एवं तबाही है । भौतिक क्षेत्र में किसी भी प्रकार की खोज प्रकृति से छेड़- छाड़ किए बिना असंभव है । भौतिक क्षेत्र में खोजकर्ताओं ने इतनी बड़ी खोज करके मानव जाति को क्या दिया है ? इस खोज का परिणाम क्या है ? बड़े-बड़े वैज्ञानिकों ने जो खोजा है इस खोज से मानव जाति विनाश एवं तबाही के करीब बहुत जल्दी पहुंच गई । विषाक्त गैस उगलने वाले अत्याधुनिक हथियारों एवं उपकरणों का आविष्कार करके हमने क्या पाया है ? यदि आविष्कारों को शक्ति से हम पूरे ब्रह्मांड में अधिकार प्राप्त कर लेते हैं तो क्या इस अधिकार से हम मानव जाति को सुख शांति दे सकते हैं ? कालांतर में एक कबीले का शासन पूरे विश्व में होने पर उसके अंदर पुनः उपसमूह बनने लगेंगे एक दूसरे को नष्ट करने के सिलसिला अनवरत जारी रहेगा । यह सिलसिला कब से चल रहा है , और कब तक चलेगा , इस दिशा में सभी बुद्धिजीवियों को विचार करना चाहिए ।