जौनपुर। विश्व के लोग अशांति की ओर है। ऐसे मे प्रयागराज कुंभ शांति का प्रतीक है।भारतीय धार्मिक संस्कृति में संत दर्शन का विशेष महत्व है। संगम तट पर अनादि काल से कुंभ,अर्धकुंभ का आयोजन होता आ रहा है। संतो के स्नान, ध्यान,पूजा. पाठ ,हवन,आरती, सतसंग से एक अलौकिक अध्यात्मिक शक्ति का संचार समूचे ब्राह्मांड मे फैल जाता है।जो जन.जन मे प्राणवायु के रुप मे ईश्वर के उपस्थिति का अनुभव कराता है। ऐसे ही भारत देश महान नहीं हुआ है। बहुत. गुढ़.गुढ़ रहस्य है। जिसे जान पाना आसान भी नहीं है। भारत देश के तकरीबन सभी साधु. संतों का कुंभ मे आगमन है।भगवान मे समर्पण है। आनंद की दिव्य अनूभूति मे अमृतरस का पान कर आत्मा को तृप्त कर रहे है। जिले के मड़ियांहू तहसील के गोपालापुर बाजार निवासी और भारत विकास परिषद ( सदभावना) के जिलाध्यक्ष उमाकांत बरनवाल प्रयागराज कुंभ मे दर्शन.पूजन हेतु परिवार सहित उपस्थित है। सतगुरु दर्पण ने उनसे दूरभाष से कुंभ का हाल जाना। जिसमें उन्होंने कहां कि दस साल से कुंभ, अर्धकुंभ मे आना हो रहा है। लेकिन जो व्यवस्था इस बार है ऐसा पहले कभी नहीं था। स्वछता ऐसी है कि देखने के बाद आत्मा प्रफुल्लित हो जाती है। जब उनसे पूछा गया बेहतर व्यवस्था के लिए क्या कहेंगे तो उन्होंने कहां कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बधाई के पात्र है।जिन्होंने विश्व के लोगों को एहसास करा दिया कि प्रयागराज कुंभ क्या है। आगे उन्होंने कहां कि किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का दर्शन मिला। रुक्मणी बल्लभ धाम वृन्दावन के बाल संत बटुक महाराज का दर्शन हुआ। उन्होंने कहां कि प्रयागराज कुंभ विश्व शांति का प्रतीक है। ईश्वर की अनूभूति का संगम है। भक्त और भगवान की महिमा का वर्णन है। जब उनसे पूछा गया कुंभ जाने का उद्देश्य क्या है तो उन्होंने कहां कि विश्व का कल्याण हो, प्राणियों मे सदभावना हो,धर्म की जय, हो अर्धम का नाश हो, मूल भावना यह है कि ईश्वर विश्व में शांति प्रदान करें। हर जीव का कल्याण हो,सभी सुखी रहे ऐसी भावना लेकर भगवान से आरजू कर रहा हू। प्रभु मेरी विनती सुन लीजिए। ताकि मुझे तसल्ली हो सके। जेडीसिंह सतगुरु धाम जौनपुर।