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तरती के लंका डीह की महिमा अपार, जो माने उसका बेडा पार

मड़ियाहू।जौनपुर। लंका डीह तरती में है।मंगलवार और रविवार को श्रद्धालु भक्तों की भीड़ रहती है। मनोकामना पूर्ण होने पर आस्था रखने वाले लोग डीह की विधिवत पूजा करते है। मान्यता के अनुसार लोग कराही चढ़ाते है।जिसमें हलुवा पुड़ी बनाकर डीह बाबा को चढ़ाते है। पंडित शेषधर मिश्र लंका के डीह के बारे में जानकारी दिये है कि भारत देश के सभी डीहो के राजा है। गावों में डीह बाबा का स्थान आज भी विद्यमान है। हर गांव में डीह की पूजा होती है।साल में लोग एक बार डीह को खुश करने के लिए भेड़ की बलि भी देते है।उन्होंने कहां कि लंका डीह की महिमा अपार है। देश के सभी डीह लंका डीह के दरबार में हाजिरी लगाते हैं। पद और कुबद पर बहस होती है। जो डीह न्याय पर होते हैं उनको शाबसी मिलती है।जो अन्यायी है उनको डाट मिलती है।बताया कि रविवार और मंगलवार को लंका के डीह मिर्जापुर चले जाते हैं। शाम को लौटकर तरती आते हैं।दलपतपुर के गुणाकर मिश्र ने बताया कि डीह ग्राम देवता है। गांव की रंछा करते है।  गांव को आपदा से बचाते हैं। मड़ियाहू कठिराव मार्ग स्थित तरती बाजार से दछिण दिशा में लंका डीह का मंदिर है।दीपापुर,नवापुर,दलपतपुर,तरती भटवार गांव के लोग नियमित डीह बाबा की पूजा करने आते हैं।मुबंई के उद्यमी और तरती गांव के मूल निवासी वृजेश मिश्र,पप्पू वैद्य ने आज मंगलवार सुबह में लंका डीह की पूजा की और सुख,समृद्धि,शांति की लंका  डीह से कामना की। वैद्य ने बताया कि लंका डीह की कृपा से मेरा सब काम हो रहा है। जो आज जीवन खुशहाल है डीह बाबा  की देन है। लंका डीह के भक्त मदनेश कुमार सिंह विशेन बाबा की महिमा का गुणगान सदैव करते रहते हैं।जेडी सिंह

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