जौनपुर। राजा श्री कृष्ण दत्त इण्टर कालेज के सभागार मे आयोजित पर्यावरण संरक्षण संगोष्ठी मे मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए डा• बीएस उपाध्याय ने ग्लोबल वार्मिंग पर कहा कि ग्लेशियर पिघल रहे हैं,उसका तापमान जीरो 0.80 डिग्री सेंटीग्रेड बढ़ता जा रहा है,टेंपरेचर इसी तरह बढ़ता रहा तो आइसलैंड और मालदीव जैसे दीप समुद्र में डूब जाएंगे। विश्व में 4 परसेंट पानी पीने योग्य है।
पर्यावरण को बचाने के लिए पेड़ -पौधे को अधिक मात्रा में लगाना होगा। जलाशय बनाएं. जल का संचयन करे, झीलो और तालाबो को संरक्षित करना होगा, छत के पानी को जमीन के नीचे पाइप के द्वारा धरती के नीचे पहुंचाये,
पानी में आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन का बढ़ना जीव जंतु से लेकर मनुष्य तक के लिए भी घातक है।
जल संशोधन के द्वारा,वेस्टेजवाटर को उपयोग में लाने के लिए प्लांट लगाएं,ग्रेटर नोएडा और दिल्ली का उन्होंन उदाहरण दिया।
भागवत कथा मर्मज्ञ राकेश मिश्रा ने पर्यावरण विषय पर अपने विचार रखते हुए सनातन संस्कृत, जल संरक्षण,आदि गूढ़ विषयों पर चर्चा किये।
विशिष्ट अतिथि पूर्व विधायक सुरेंद्र प्रताप सिंह ने विषय को ध्यान मे रंखते हुए कहा कि नदियों का पानी दूषित हो रहा है,शहरों का गंदा पानी जा रहा है- नदियों में कल-कारखानों का पानी जा रहा है। जो जल प्रदूषण को बढ़ावा दे रहा है। कहा कि तीन चौथाई हिस्सा जंगल होना चाहिए हम कॉलोनी बनाने के नाम पर,सड़कें बनाने के नाम पर,अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं ,यह पर्यावरण के लिए बहुत ही नुकसानदायक है।
ट्रेफिक इंस्पेक्टर जीडी शुक्ला ने कहा वातावरण पर्यावरण को दूषित- करने से हमारा जनजीवन अस्त व्यस्त हो जाता है -बीमारियां बढ़ती हैं।
साथ में यातायात के नियमों और सड़क सुरक्षा संबंधी विषय पर अपने विचार रखें।
राज कॉलेज के प्रधानाचार्य संजय चौबे ने संक्षिप्त उद्बोधन में जल ही जीवन है- वायु ही हमारी प्राणशक्ति है,वायु के बिना हमारा जीवन चल नहीं सकता, इसके लिए पेड़ पौधे लगाएं। राजा श्री कृष्ण दत्त डिग्री कॉलेज जौनपुर के पूर्व प्राचार्य- अखिलेश्वर शुक्ला ने अंत में अध्यक्षीय भाषण में सब का आभार व्यक्त किया और पर्यावरण को बचाने के लिए पीपल,पाकड़ बरगद नीम और गूलर का पेड़ लगाने के लिए सभी छात्रों से अपील की और कहा कि अपने जन्मदिन पर आप इसको लगाएं ,और तुलसी के पौधे के गुण के महत्व के वैज्ञानिक तरीकों के बारे में बताया।
युवा पीढ़ी को मानसिक प्रदुषण से सावधान करते हुए पश्चिमी प्रभाव से सावधान रहने एवं भारतीय प्राचीन परम्पराओं एवं ऋषियों -मनीषियों के कथनों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखने समझने का सुझाव दिया।साथ ही कहा कि जब तक हमारे अंदर अपने संस्कृति सभ्यता परम्पराओं को लेकर स्वाभिमान पैदा नहीं होगा,तब तक हम विकास नहीं कर सकते। हमारी नकल पश्चिमी देश करने लगे हैं। फिर भी हम अपने आप को समझने में देरी क्यो कर रहे है। कार्यक्रम संयोजक जितेन्द्र प्रताप सिंह और संजय चौबे रहे। जगदीश सिंह संपादक सतगुरु दर्पण
Home / सुर्खियां / नर चेता नही तो आने वाली पीढ़ी पर्यावरण प्रदूषण की वजह से पूरी तरह से तबाह हो जायेगी,जीवन बहुत मुश्किल मे पड सकता है