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जमलिया मे कचरा प्रबंधन की समुचित व्यवस्था,मड़ियाहू शहर की आबो हवा रहेगी शुद्ध, स्वास्थ्य की उत्तमता को मिलेगा बल

मड़ियाहू। जौनपुर। स्थानीय नगर की सबसे बड़ी और जटिल समस्या समाधान की ओर है।मानव स्वास्थ्य और प्रकृति का सबसे बड़ा दुश्मन कचरा है, निपटान की समुचित व्यवस्था नगर पंचायत के पास नही था। रानीपुर शिवपुर वाईपास कचरा हब बना हुआ है। नगर पंचायत अध्यक्ष रुकसाना का प्रयास और तहसील और जिला प्रशासन के सहयोग से जमलिया मे साढे छ बीघा जमीन पर कचरा प्रबंधन के लिए प्लान्ट बन रहा है। काम जोरो पर चल रहा है। नगर पंचायत अध्यक्ष ने कहा कि कुछ महीनो मे चालू हो जायेगा। कहा कि नगर का कचरा प्लान्ट पर एकत्रित होगा,इसके बाद उसकी छटनी होगी। जिसमे जैविक खाद बनेगा और बचे हुए कचरो का अन्य वस्तु बनाने मे उपयोग होगा। समाजसेवी कमाल फारुकी ने कहा कि
प्राकृतिक आपदाओं की मुख्य वजह कचरा है। कचरे को प्रकृति का सबसे बड़ा दुश्मन कहा जाता है। कहा कि मडियाहू शहर के हर घरो, व्यवसायिक प्रतिष्ठानो से कुछ न कुछ रोज कचरा उत्पन्न होता है।महीने का कई टन कचरा हो जाता है।
कचरे को प्रबंधन करना बहुत ही जरूरी था। नगर पंचायत अध्यक्ष की पहल पर उपजिलाधिकारी मडियाहू और जिलाधिकारी जौनपुर के सहयोग से जमलिया मे साढ़े छ बीघा जमीन उपलब्ध हो सका है। जिसके चारो तरफ बाउन्ड्रीवाल बनकर तैयार है। भवन खड़ा हो गया है। छत बनना बाकी है। मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को कचरा नुकसान पहुंचाता है। जैसे की औद्योगिक अपशिष्ट भूमि की उपजता को कम कर देता है।
इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट में आर्सेनिक, मरकरी, लेड और कैडमियम जैसे कई जहरीले पदार्थ होते है। यह पदार्थ पर्यावरण और मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होते है। विश्वभर में पैदा होने वाले कुल ई-कचरे का चार प्रतिशत हिस्सा भारत में उत्पन्न होता है।
इसके अलावा प्लास्टिक, कांच, दवाई की शीशियाँ, धातु, चमडा, इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसा ठोस अपशिष्ट भी हमारे लिए नुकसानकारक है। यह कचरा कई साल बीत जाने के बाद भी नष्ट नहीं होता, जबकि भारत में प्रतिवर्ष 960 मिलियन टन ठोस अपशिष्ट उत्पन्न होता है।
कचरे को फेंक देने से भूमि प्रदूषण होता है। इसकी वजह से उपज भूमि बंजर बन जाती है, जिससे हमे कृषि में नुकसान होता है। इसके अलावा जब जमा हुआ कचरा सड़ने लगे तब उसमे से दुर्गन्ध निकलती है। इस दुर्गन्ध से ना सिर्फ आस-पास का वातावरण दूषित होता है, बल्कि कई खतरनाक बीमारिया भी फैलती है। इन बीमारियो के रोकने के लिए हमे कचरा प्रबंधन करना आवश्यक है।
जब यह अपशिष्ट नालियों से बह कर जल स्रोतों में मिल जाता है, तब यह जल को प्रदूषित करता है। इससे कई जलीय जीवों की मृत्यु हो जाती है। इसके अलावा अगर इसी कचरे को जलाया जाए तो यह वायु को प्रदूषित करता है।
इस तरह हमे कचरे के इन सभी प्रदूषणों से बचने के लिए कचरे का सही प्रबंधन करना आवश्यक और जरूरी है।
प्राचीन समय में मनुष्य एक गड्ढा खोद कर कचरे को दफन कर देते थे। इन मनुष्यों के लिए यही कचरा प्रबंधन था। लेकिन वर्तमान में हम इस तकनीक का उपयोग नहीं कर सकते है। क्योकि उस समय उनकी आबादी और कचरा बहुत कम था।
जबकि आधुनिक समय में हमारी आबादी और कचरा बहुत ज्यादा है। इसके साथ-साथ अगर वर्तमान में मनुष्य कचरे को दफनाए तो उसमे कीड़े और जीवजंतु उत्पन्न होने लगेंगे। इससे बड़े पैमाने पर बीमारी फैल सकती है। इसलिए आज के समय में कचरे का सही प्रबंधन करना जरूरी है।
पुनर्चक्रण
कचरे को पुनर्प्राप्त करके उसको नई सामग्री और वस्तुओं में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को पुनर्चक्रण कहा जाता है। इस प्रक्रिया से कचरे की उपयोगी सामग्रियों की बर्बादी को रोका जा सकता है। इस प्रक्रिया से उत्पन्न होने वाली चीजे कई जगह कच्चे माल के लिए उपयोगी होती है। पुनर्चक्रण से वायु और जल प्रदूषण को बहोत हद तक रोका जा सकता है। इस प्रक्रिया से ग्रीनहाउस गैस कम उत्पन्न होता है।
इस तरह हम इन सभी उपायो का उपयोग कचरे का सही प्रबंधन करने के लिए कर सकते है। इससे अपशिष्ट भी खतम हो जाएगा और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होगा।
कचरा प्रबंधन का सबसे पहला फायदा यह है कि, इससे पर्यावरण स्वच्छ रहता है। यदि हमारे आस-पास के सभी कचरे का उचित निपटान किया जाए तो हम पर्यावरण को आसानी से स्वच्छ रख सकते है। कचरा प्रबंधन की पुनर्चक्रण प्रक्रिया से हमे नए उत्पादों के लिए कच्चा माल प्राप्त होता है।
जब कचरे का सही निपटान किया जाएगा तब उसमे से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसी गैस वातावरण में कम हो जाएगी। इससे ग्लोबल वार्मिंग और वायु प्रदूषण जैसी समस्याए उत्पन्न नहीं होगी।
दुनिया में बसी हर चीज़ के दो पहलू होते है, एक है फायदा और दूसरा है नुकसान। इस तरह कचरा प्रबंधन के भी दो पहलू है। परंतु कचरा प्रबंधन करने से सभी लोगो को लाभ होगा और ना करने से सभी लोगो का नुकसान। इसलिए हमे कचरा प्रबंधन करना जरूरी है।
हम सभी भारतीयों को कचरे का प्रबंधन करके प्रकृति का संरक्षण करना चाहिए, क्योंकि प्राकृतिक सुंदरता हमारे लिए एक विरासत है। हम सभी प्रकृति का एक हिस्सा हैं और यह हमारी जिम्मेदारी है कि, हम कचरे के खतरनाक प्रभावों से प्रकृति को कैसे बचाए? उम्मीद है कि आज से ही आप प्रकृति को बचाने के लिए कचरे को कम उत्पन्न करेंगे और उसके प्रबंधन पर ज्यादा ध्यान देंगे। जेडी सिंह

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