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नया भारत स्वालंबन की ओर, सासंद बृजभूषण शरण के विचार को आत्मसात करके गरीबीयत का रंग चढा, अमीरीयत कुछ देर तक पेशोपेश रही,नोनारी मे आलीशान मंजर दिखा

जौनपुर। विचार प्रभावशाली है तो भारत के अपनत्व की संस्कृति और संस्कार दिल को छू जाते है। जमीनी हकीकत बया करती है कि मंजिल पर पहुंचा व्यक्ति सच्चाई के साथ है। गरीब इन्सान नही होता हालात की वजह से वह समय का दास होता है। भारत देश की महान परंपरा है दान देने की। देश की भूमि दाता की है। जुड़ाव से मिलना स्वभाविक है। धरती छोड़ आसमान की उड़ान है क्षणिक है।आना धरती पर है। वैचारिक स्वच्छता सत्य वाणी सबको प्रिय है। अभी हाल ही के दिनो मे रामपुर विकास खण्ड के नोनारी ग्राम सभा मे गोण्डा के सासंद बृजभूषण शरण सिंह एक कंबल वितरण एव सम्मान समारोह मे आये थे। प्रशासनिक अमला मय फोर्स चप्पे,चप्पे पर तैनात था। मानव संख्या का हुजूम था। पूर्वाचल के प्रख्यात गायक कलाकार रवींद्र सिंह ज्योति भक्ति और राष्ट्र गीत से समा मे चार चांद लगा चुके थे। ठाकुर साहब का उडनखटोला आसमान से जमीन पर उतरा। आवभगत के संस्कार से प्रबुद्ध जन मंच पर आसन के लिए अनुग्रहित किये। मर्यादा का आदान-प्रदान हुआ। पुष्पो का हार गले का श्रृंगार बना। सासंद ने पहले अपनी तरफ आकर्षित किया। संचालन कर्ता अपने धुन मे थे। इधर बृजभूषण शरण सिंह शालीनता से बोले आप जाइये। अब हम आ गये है। ध्वनि विस्तारक यंत्र को कम करने और इको को ठीक करने की बात कही। विचारो का प्रवाह ऐसा चला। श्रोता भी विचार मे डूब गये। जमीन से जुड़ाव,गाय भैस पालन, श्रम और कर्म पर विश्वास,ईश्वर अनूभूति के साथ आत्म निर्भरता पर भारत सरकार की बात। गरीबी उन्मूलन को वैचारिक खुराक अमीरीयत को संदेश गरीब को गरीब कहकर, दया का पात्र बनाना आज है कल नही रहेगा। नया भारत स्वालंबन की ओर है। भूखे भजन न होय गोपाला, दृढ़संकल्प लेकर माननीय का विचार आत्मसात किया जाय और खेती बाडी पशुपालन की ओर अगर लोग अग्रसर बने तो गरीब शब्द विलुप्तता की ओर जा सकता है।परिस्थिति का मारा जीव बेचारा। जगदीश सिंह संपादक सतगुरु दर्पण जौनपुर

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