जौनपुर। रामनगर विकास खण्ड के नवापुर ग्राम सभा के गोसाईपुर स्थित ऐतिहासिक खेऊ वीर बाबा शिव मंदिर उपेक्षित है। आवागमन के लिए रास्ता न होने से भक्तो को दर्शन पूजन करने मे बेहद मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। मंदिर के महात्म्य के बारे मे बताया गया है कि यह शिव मंदिर अति प्राचीन है। बहुत पहले की बात है रघुनन्दन दास महाराज इस पवित्र स्थान पर घोर तपस्या किये है। मंदिर से महज दूरी पर एक कुटिया थी जिसमे महाराज जी निवास करते और नित्य सुबह शाम भजन आरती का क्रम निरन्तर चलता रहा। दूर,दराज से भक्तो,संतो का आना जाना लगा रहता था। दिव्यता और भव्यता का आलम यह था कि तरती,नवापुर,भटवार, गोसाईपुर,बर्राह आदि गांव के लोगो का सुबह,शाम दर्शन पूजन के लिए जाना होता था। विसुई केवट और अंगद के सेवकाई की आज भी लोग चर्चा करते है। कबूतरी घोड़ी और गंगा जमुना बैल की जोडी का नाम बुजुर्गो की जुबान पर आज भी है। महाराज जी से कतवारु शर्मा, शोभनाथ मिश्र, सत्यदेव मिश्र का विशेष जुड़ाव था। राममूरत सिंह ( श्रीमान जी)अवकाश प्राप्त शिक्षक और प्रबुद्ध समाजसेवी इन्द्रबहादुर सिंह ने बातचीत के दौरान बताया की रघुनन्दन दास महाराज सिद्ध संत थे। आभा मंडल पर तेज था। विचरण करते महाराज नवापुर गांव आये, कुछ महीने नहर की पुलिया के 100 मीटर की दूरी पर स्थित हनुमान मंदिर पर साधना किये। इसके बाद खेऊवीर बाबा शिव मंदिर पर आकर शिव भक्ति मे रम गये है। भक्तो की संख्या बढ़ने लगी। भव्यता और दिव्यता का माहौल बनने लगा। दर्जनो गाय,बैल से मंदिर परिसर सुशोभित था। बाबा अन्न का सेवन न के बराबर करते थे। गाय का दूध पीते थे। होली के आठ दिन बाद आटो चैती पर प्रतिवर्ष आज भी विशाल मेला लगता है। बाबा के समय जो रौनक था,वह अब नही है। पहले अच्छे,अच्छे, कवि,गीतकार,संगीतकार जुटते थे कई दिन तक सुर साधना चलता था। बेलवईया गीत लोग खूब झूम के गाते थे। मेला के दिन आस-पास के गांवो से मंदिर पर इतना सीधा पिसान चढ़ता था कि संत भक्त के लिए महीनो का राशन उपलब्ध हो जाता था। लंबे समय तक साधना के बाद अन्त समय मे महाराज जी अपनी जन्मभूमि बेलाव केराकत गये और कुछ दिन पर शरीर का प्रत्याग करके पंचतत्व मे विलीन हो गये । बाबा की यादे और उनकी भक्ति गोसाईपुर के प्रकृति मे आज भी विद्यमान है। जिसे जगाने की जरुरत है। मंदिर के ठीक सामने एक कुआ है जो ऐतिहासिकता को बया कर रहा है। कभी कुआ का जमाना था सिचाई के लिए पुरवट चलता था। जो जीर्ण-शीर्ण अवस्था मे दयनीय दशा पर आसू बहा रहा है। आस-पास गांव के युवा दंपति परिणय सूत्र मे बधने के बाद खेऊवीर बाबा का दर्शन करते है। गोसाईपुर के मनी लाल और रिंकू विश्वकर्मा ने बताया कि मंदिर जाने के लिए रास्ता न होने से श्रद्धालु भक्तो को परेशानी है। सकरे पगडंडी के सहारे आवागमन है। बरसात के मौसम मे स्थिति नारकीय हो जाती है। मंदिर के पीछे लोगो के नाम का जलाशय है। उससे सटा वर्षो पुराना विश्वकर्मा बस्ती है। बरसात मे अक्सर जलभराव की स्थिति का खतरा बना रहता है। जल निकासी की व्यवस्था होने से समस्या से निजात मिल सकता है। विद्युत की समस्या है। ट्रांसफार्मर लग जाता तो उजाला गतिमान हो जाता। गांव के रोहित गोस्वामी ने कहा कि भोले बाबा का सिद्धपीठ मंदिर है। बाबा रघुनन्दन दास ने यहा वर्षो तपस्या किये। उन्होंन शिव भक्त बड़े बुडउ बाबा व छोटे बुढऊ बाबा के समाधि का जिक्र किया। जो मंदिर से कुछ दूरी पर बना है। उन्होंन कहा कि सबके सहयोग से मंदिर को भव्य बनाया जायेगा। पुरानी भव्यता पुन: लौटेगी। इस परिप्रेक्ष्य मे सुभासपा नेता पूर्व प्रमुख रामनगर अरविंद सिंह मखडू से बातचीत हुई। उनसे ऐतिहासिक शिव मंदिर गोसाईपुर पर भक्तो के दर्शन पूजन के लिए जाने के लिए रास्ता नही है को बताया गया। उन्होंन कहा बहुत जल्द ही सड़क बनवाया जायेगा। कहा कि हाई मास्ट लाइट भी लगेगा। जब उनसे मंदिर के पीछे विश्वकर्मा बस्ती मे ट्रांसफार्मर लगवाने की बात कही गयी तो उन्होंन कहा कि विद्युत विभाग से बात होगा और कोशिश होगा ट्रांसफार्मर लग जाय। रघुनन्दन दास महाराज की कृपा उजागर,खेउवीर बाबा शिव मंदिर जाने का बनेगा रास्ता,लगेगी हाई मास्ट लाइट। समय आ गया है। समय होत बलवान। इतिहास गवाह है तपस्या उजागर होती है। निर्मल मन से किये गये साधना की कीर्ति सदैव प्रकाशमान होता है। जेडी सिंह, राम औतार