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धर्म-कर्म

माया जैसा चाहती हैं, सबकों वैसा ही नाच नचाती है, आयु के दिन पूरा कर लेने मात्र से जीव का कल्याण संभव नहीं है

पालघर।मुबंई। परम पूज्य संत स्वामी अडगडानंद जी महाराज ने कहां कि राम राज बैठें त्रैलोका । हरषित भये गये सब सोका ॥ (रामचरितमानस,७/१९/७) राम का राज्याभिषेक होते ही तीनों लोकों का शोक समाप्त हो गया, खुशी की लहर दौड़ गयी ...

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रस पी ले बन्दे तू राम नाम का,ये धन और दौलत किस काम का,परमहंस आश्रम हथेरा में श्रद्धा बाबा की रामकथा, लोग मोक्ष की ओर, बीज का नाश नहीं होता, राम रस जिसने पी ली उसकी जिन्दगी परमधाम यात्रा की ओर चल पडी

जौनपुर। राम सत्य हैं। नित्य हैं।विश्व व्यापी हैं।उनकी हर जगह चर्चा हैं।वह सबका नियन्ता हैं। धरती के हर जीव पर उसकी दाया और माया हैं। वह सबका भला करता है। राम विश्व मे शान्ति चाहते हैं।रावण उत्पात मचाये हुए हैं। ...

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मन को परमात्मा मे लगाना, ध्यान द्वारा चित्त को एकाग्र करना,योग का अर्थ क्रमशः: समाधि, जोड़ और संयमन होता है

पालघर।मुबंई  योग शब्द का नाम आने पर जनसामान्य में कुछ शारीरिक क्रिया (आसन) की ही अवधारणा का प्रस्फुटन होता है । जो सही नहीं है इसलिये आयें देखें,योग  क्या है?- योग शब्द ‘युज्’ धातु में ‘घञ्’ प्रत्यय लगाने से निष्पन्न ...

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