जौनपुर। भारत देश मे राजनैतिक दलों की अपनी एक गरिमा है। महापुरुषो के विचारधारा को आगे बढ़ाने वाले ये दलों का नैतिक मूल्य है। सिद्धात है। किसी भी दल के कार्यकर्ता ही उसके मजबूती का आधार है। पहले के चुनाव में ईमानदार,कर्मठ,सत्य निष्ठ,जन प्रिय, पार्टी के प्रति समर्पित कार्यकर्ता ही लोकसभा और विधानसभा का चुनाव लड़ते थे। पहले के जो सांसद और विधायक मंत्री बनते थे। उनमें महानता, आदर्शवादिता झलकती थी। पक्ष और विपक्ष की एक वैचारिक गरिमा रहती। अप्रिय बोल न थे। धनबल, बाहुबल को तवज्जो न था। दलबदलु नेता कम होते थे। आज जो वर्तमान की राजनीति है बहुत ही घटिया किस्म की राजनीति है। बाहुबलियों,अपराधियों का महिमा मंडन है। ज्यादा से ज्यादा दलों में यही सरकार मे है और सरकार चला रहे हैं। राजनीति जनसेवा कम विशुद्ध रूप से व्यवसाय का रुप ले लिया। ईमानदार नेताओं की संख्या कम बेईमानो,और धुर्त नेताओं की भरमार है। राजनैतिक दलों के जमीनी कार्यकर्ता जो पार्टी को जी जान से खून पसीना बहा करके खड़ा करते है अन्त्तोगत्वा दरकिनार कर दिये जाते है। ईमानदार नेताओं की तो कहीं कोई पूछ ही नहीं है। जलवा किसका है बाहुबलीओ,अपराधी नेताओं का। अधिकांश युवा भी ऐसे ही नेताओं की ओर आकर्षित हो रहे हैं। सेल्फी लेने की होड़ लग जाती है। राजनैतिक दलों को अब जीताऊ प्रत्याशी चाहिए। जिसके पास धनबल की ताकत हो। जिले की राजनीति मे मड़ियाहूं विधान सभा मे सबसे ज्यादा विधायक बाहरी हुए हैं। केके सचान,बरखूराम वर्मा, वर्तमान में जो विधायक हैं। डाक्टर आरके पटेल यह भी बाहरी है। अपना दल एस में ऐसा नहीं है कि मड़ियाहूं में नेता नहीं है। कार्यकर्ता नहीं है। अपना दल की शुरुआत ही कह लीजिए मड़ियाहूं से हुई है। डा. सोनेलाल पटेल का राजनैतिक कर्म भूमि है।लेकिन जिसके हाथ में पार्टी का कमान है उनका अपना निर्णय है। जिसे दल के सभी नेता कार्यकर्ता को मानना है। जौनपुर के सांसद बाबूराम कुशवाहा है। सपा ने उनको चुनाव लड़ा दिया। सांसद हो गये। जबकि जिले मे सपा के अच्छे और मजबूत पार्टी के प्रति समर्पित कार्यकर्ता नेता हैं। पार्टी सुप्रीमो ने सबको दरकिनार कर दिया। बाहरी प्रत्याशी को मैदान मे उतार दिया। ऐसे स्थानीय नेताओं कार्यकर्ताओं को पीड़ा तो हुई होगी। लेकिन उसका कोई मतलब नही। भाजपा ने लोकसभा चुनाव मे स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को दरकिनार करके मुंबई से लाकर कृपाशंकर सिंह को चुनाव लड़ा दिया।नतीजा भाजपा की हार हुई। बार एसोसिएशन मड़ियाहूं के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र प्रसाद सिंह से इस सिलसिले में बात हुई। जिसमें उनसे सवाल किया गया, मड़ियाहूं और जौनपुर के लोगों में राजनैतिक क्षमता कमजोर है। दक्ष नही है क्या। उन्होंने कहां मड़ियाहूं और जौनपुर में बहुत ही प्रतिभावान नेता और कार्यकर्ता है। लेकिन राजनैतिक दलों के मुखिया जो चाहेंगे वहीं न होगा। राजनैतिक दलों के बहुतो नेता और कार्यकर्ता पार्टी के लिए उम्र बीता दिये। लेकिन उन्हें मौका ही बहुत कम मिलता है। उन्होंने कहां स्थानीय जनता को चाहिए जो दल बाहरी उम्मीदवार उतारे उससे किनारा कर लें। जो स्थानीय हो चाहे जिस दल का हो उसे अपना विधायक और सांसद चुने।