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प्राचीन काल के भारत मे पाठशालाओ मे धार्मिक शिक्षा के साथ.मूल्य आधारित शिक्षा जरुरी होती थीं, चेयरमैन विक्रम प्रताप सिंह प्रताप फांउडेशन

जौनपुर। प्रताप फांउडेशन के चेयरमैन विक्रम प्रताप सिंह से मानव जीवन मे मूल्य का योगदान विषय  पर सतगुरु दर्पण से विशेष बातचीत. हुई।जिसमें उन्होंने कहां कि किसी भी इंसान के जीवन में मूल्यों का अहम योगदान रहता है क्योंकि इन्हीं के आधार पर अच्छा-बुरा या सही-गलत की परख की जाती है। इंसान के जीवन की सबसे पहली पाठशाला उसका अपना परिवार ही होता है और परिवार समाज का एक अंग है। उसके बाद उसका विद्यालय, जहां से उसे शिक्षा हासिल होती है। परिवार, समाज और विद्यालय के अनुरूप ही एक व्यक्ति में सामाजिक गुणों और मानव मूल्यों का विकास होता है। प्राचीन काल के भारत में पाठशालाओं में धार्मिक शिक्षा के साथ मूल्य आधारित शिक्षा भी जरूरी होती थी। लेकिन वक्त के साथ यह कम होता चला गया और आज वैश्वीकरण के इस युग में मूल्य आधारित शिक्षा की भागीदारी लगातार घटती जा रही है। सांप्रदायिकता, जातिवाद, हिंसा, असहिष्णुता  आदि की बढ़ती प्रवृत्ति समाज में मूल्यों के विघटन के ही उदाहरण हैं।

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