मड़ियाहूं। जौनपुर। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट है। प्रमुख पद के दावेदार चुनावी बिसात बिछाने में जुट गये है। क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार भी चुनावी ताना बाना बुनना शुरु कर दिये है। अगला रामनगर ब्लॉक का प्रमुख कौन होगा,इसको लेकर चर्चा शुरु हो गया है। आरक्षण पर भी चर्चा है। ओबीसी हो या सामान्य या अनूसूचित जाति के लिए सीट आरक्षित हो,जीत तो धनबल के ताकत से होती है। इस बात को ब्लॉक क्षेत्र के हर लोग जानते है। प्रमुखी के चुनाव मे क्या, क्या होता है, कैसे, कैसे होता है। क्षेत्र पंचायत सदस्य जैसे ही चुनाव जीतते हैं। उनकी खोज शुरु हो जाती है,मोल भाव शुरु हो जाता है। वस्तुत: एक रेट तय हो जाता है। लाख दो लाख। फिर क्या होता जो क्षेत्र पंचायत सदस्य मिजाज बना लेते है उनको एक जगह सुदूर अच्छे होटल में रंखा जाता है। जब प्रमुख पद का चुनाव होता है तो एक,एक बीडीसी आते हैं और वोट देकर चले जाते है। फिर क्या जो धनबल की ताकत से चुनाव जीतता है। प्रमुख बनता है या बनवाता है,वह पूरी तरह से व्यवसायिक मानसिकता से काम करता है। लाखों,करोड़ों खर्च हुआ है। इसके एवज मे विकास के लिए सरकारी योजनाओं का जो धन मिलता है। उस धन को विकास कार्यो में लगाया जाता है। साथ ही धन के दुरुपयोग से इंकार नहीं किया जा सकता। बहुत से ऐसे भी क्षेत्र पंचायत सदस्य हैं जो मोल भाव से दूर राजनैतिक गरिमा को बना कर रखते हैं। रामनगर क्षेत्र पंचायत के ग्राम पंचायतो मे बहुत से निपुण कुशल राजनीतिज्ञ है। लेकिन आज की राजनीति मे धनबल बाहुबल हाबी है। जो धनवान और बलवान होगा वही रामनगर ब्लॉक का अगला प्रमुख होगा। ऐसा कयास जनता के बीच लगाया जा रहा है। जेडी सिंह