जौनपुर। पंचायत की राजनीति का नैतिक मूल्य था, मर्यादा ऐसा की बड़प्पन झलकता था। ग्राम प्रधान, प्रमुख, विधायक, सांसद, मंत्री पद की गरिमा को लोग महसूस करते थे। जनमानस मे अच्छा भाव था। आज के समय मे राजनीति व्यापार का रुप ले लिया है।जनता वोट देकर पंचायत चुनाव मे अपना जनप्रतिनिध चुनती है। लेकिन विडंबना है कि चुने हुए जनप्रतिनिधि कुछ को छोड़ दिया जाय तो प्रमुख और जिलापंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य अधिकांश बिक जाते है। अच्छा खासा मोटा रकम मिल जाता है।पंचायत चुनाव की आहट की खबर से प्रधान, प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ने वाले रणबांकुरे सक्रिय नजर आ रहे है। येन केन प्रकारेण सत्ता की कुर्सी हथियाने की आजमाईश शुरू हो गयी है। भाजपा के वरिष्ठ नेता बाबा लुट्टुर दास से मंगलवार दोपहर मड़ियाहूं बाबतपुर मार्ग स्थित बर्राह कार्यालय पर बातचीत हुई। उनसे सवाल किया गया राजनीति के नैतिक मूल्यों में गिरावट है क्या। जबाब मे उन्होंने कहां राजनीति निःस्वार्थ जन सेवा का अवसर प्रदान करती है। पहले समत्व,ममत्व,अपनत्व की राजनीति को तरजीह रहा। आज की राजनीति पर उन्होंने कहा कि आज तो जिसके पास धनबल,बाहुबल है। वहीं चुनाव जीत रहा है। एक बार चुनाव जीतने के बाद सत्ता सुख पाने के बाद फिर क्या बार,बार चाहत बनी है। सामान्य, ओबीसी,अनुसूचित चाहे जो सीट हो धनबल और बाहुबल की ताकत से चुनाव जीतना है। राजनीति मे जनसेवा कम व्यापार की बू कुछ ज्यादा ही आती महसूस की जा सकती है। उन्होंने कहां रामनगर ब्लॉक क्षेत्र के लोगों की राजनीति में एक मर्यादित गरिमा रहीं हैं। कहा कि अनुमानतः सन 1952 से प्रमुख पद का चुनाव शुरू हुआ। पहले रामपुर और रामनगर संयुक्त ब्लॉक था। प्रधान और डेलीगेट प्रमुख चुनते थे। डौडी ग्राम निवासी चन्द्रेश सिंह पहले प्रमुख बने,कई बार इस पद पर सुशोभित रहे। हिमताज परिवार के करमौवा निवासी श्री राम नारायण पाण्डेय जी भी प्रमुख रहे। स्व. श्री कैलाश सिंह अटरिया प्रमुख की एक राजनैतिक छबि रही। जिनके आदर्श सोच की आज भी लोग चर्चा करते हैं। आपकी बहू इन्द्रावती देवी प्रमुख रही। नारायनपुर निवासी कैलाश यादव कई बार प्रमुख रहे, तिलंगा निवासी सुरेश तिवारी की पत्नी पुष्पा तिवारी प्रमुख रही। अरविंद सिंह मखडू खोराबीर प्रमुख रहे। वर्तमान समय मे दयाराम पटेल की पत्नी तारा देवी प्रमुख है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की सरगर्मी है। धनबल के लोगों के ज्यादे, से ज्यादे चुनाव जीतने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। जेडी सिंह संपादक