*पत्रकारिता जगत में क्रांति की आवश्यकता है,प्रथम पत्रकार नारद जी थे*,नार+द=नारद
नार मतलब ज्ञान,द अर्थात देने वाला,ज्ञान देने वाला ही पत्रकार होता है,अर्थात ज्ञान से समन्धी सुचना का आदान प्रदान करना ही,सच्ची पत्रकारिता है,अभी तो पत्रकारिता-में काम,क्रोध,लोभ,मोह,मद मत्सर का प्रचार मात्र होता है,कहा युद्ध हो रहा है,कहा भोग हो रहा है,पैसे के द्वारा कितना अश्लील एड समाचार,नकारत्मक प्रचार प्रसार का केंद्र है ,सम्पूर्ण पत्रकारिता जगत,
आप टेलीविजन या पेपर में 90%ऐसे ही खबर या विज्ञापन पढ़ेंगे,सकारात्मक दिशा परिवर्तक,और मानव,के तन,मन,परिवार,समाज,प्रकृति के सन्तुलन के अर्थ में सकारात्मकता के अर्थ में कितने समाचार आते है??स्वयं विचार कीजिये,इसलिये पत्रकार महोदयों से प्रार्थना है की वो भी ,तन,मन,आत्मा,परिवार समाज पर्यावरण के साथ जी रहे है,इनके सही व स्वस्थ्य न रखने पर वो किसी भी तरह इन बलाओं से बच नही सकते अतः उन्हें सकारात्मक वातावरण बनाने वाले समाचार प्रेषित करने चाहिए,और समाज में अपराध के बजाय ,संस्कार युक्त वातावरण बनाने में अपनी शक्ति नियोजित करनी चाहिए,उनका यह प्रयाश सम्पूर्ण विश्व का नक्शा बदल सकता है।
आप इसे स्वयं में विचार करें, जाँचे उचित हो तो ही आगे बढे सादर साधुवाद।
#वशिष्ठ जी महराज गुरूजी#