जौनपुर।
सरकारी विद्यालयों की स्थिति के बारे में जहां दूसरे अध्यापक बजट का रोना रोते हैं, वहीं पर प्राथमिक विद्यालय मड़ियाहूँ प्रथम रामनगर सरकारी विद्यालय के अध्यापक ने जन सहयोग से इसकी तस्वीर बदल दी है। ज़िले के रानीपुर रामनगर मड़ियाहूँ गाँव के मड़ियाहूँ में बना प्राथमिक विद्यालय मड़ियाहूँ प्रथम यह ऐसा सरकारी विद्यालय है, जहां पर दिन की शुरुआत सामूहिक प्रार्थना व राष्ट्रगान से की जाती है। जहां पर बच्चे कुर्सी व मेज पर बैठकर पढ़ते हैं।
प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्रीप्रकाश सिंह बताते हैं कि शुरू में यहां भी अव्यस्थाएं थीं, यहां गांव में ज्यादातर अनुसूचित जाति के परिवार हैं, जो बच्चों को स्कूल तो भेज देते हैं, लेकिन उसके बाद कोई ध्यान नहीं देते, जब मैंने शुरुआत की तो सबने कहा कि सरकारी स्कूल तो ऐसे ही चलते हैं, क्यों अपना समय बर्बाद कर रहे है।” लेकिन दूसरों की बातों पर कोई असर नहीं हुआ। उन्होंने फेसबुक, व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोगों से मदद मांगनी शुरू की लोग अपने पुरानी किताबें, खिलौने जैसे बच्चों की काम की चीजें विद्यालय को दे सकते हैं। *श्रीप्रकाश सिंह* की मुहिम रंग ला रही है, लोग स्कूल की मदद को आगे आ रहे हैं।
बच्चों के लिए है पुस्तकालय
पहली कक्षा में पढ़ने वाले रवि अपने साथ के बच्चों को बिना झिझके गिनती और वर्णमाला पढ़ाते हैं। विद्यालय में पुस्तकालय भी है जहां पर बच्चों के लिए पूरी किताब को चित्र के रूप में बनाया है, ताकि बच्चे आसानी से समझ सकें। लोग यहां पुरानी किताबें देते रहते हैं, जिससे बच्चों का पढ़ने की तरफ रुझान भी बढ़ता है।
प्रधानाध्यापक बताते हैं, “बच्चों को चित्र देखकर जल्दी व आसानी से समझ आता है। सभी विषयों की पढ़ाई के लिए अलग-अलग चित्र बनाकर किताबें बनाईं गईं हैं, जिससे वो समझ सके। इसके साथ ही बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए कक्षा वार सभी बच्चों का मूल्यांकन किया जाता है, अव्वल बच्चों को पुरस्कृत कर प्रोत्साहित किया जाता है।
विद्यालय में लगे हैं सैकड़ों पौधें हरे-भरे पेड़-पौधे का सुरक्षित बगीचा बना हुआ है। इसमें तरह-तरह के फूल लगे हैं। यह सब यहां के *प्रधानाध्यापक व उनके स्टाफ ने सामुदायिक भागीदारी से करके दिखाया है
विद्यालय हरे-भरे पेड़-पौधे का सुरक्षित बगीचा बना हुआ है। इसमें तरह-तरह के फूल के पोधे लगे हुए हैं। यह सब यहां के प्रधानाध्यापक श्रीप्रकाश सिंह, सहायक अध्यापक /सहायक अध्यापिका वन्दना सिंह,साधना दूबे,सन्तोष पटेल,सतेन्द्र सिंह सत्यभामा देवी ने सामुदायिक भागीदारी से करके दिखाया है।