जौनपुर। भारत देश के लोकप्रिय नेता पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी का निधन हो गया। देश दुखी है। लोग उनके जीवन से जुडी़ महत्वपूर्ण बाते चर्चा कर दुखी हो रहे है। पक्ष और विपक्ष दोनों जन नायक के मौत से दुखी नजर आ रहा है। फेसबुक, वाटसएप, प्रिन्ट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, सोशल मीडिया पर वाजपेयी जी के जीवन से जुडी़ महत्वपूर्ण बातों को प्रस्तुत किया जा रहा है। भावभीनी श्रद्धांजलि दी जा रही है। पंचभूत की शरीर पंचतत्व मे विलीन हो गयी। जिला मुख्यालय से 3o किलोमीटर की दूरी पर मड़ियांहू कठिरांव मार्ग स्थित बर्राह गांव के सरोवर के पास स्थित देव स्थान तिवारी बाबा के पास नेवढ़िया भाजपा मंडल की एक आवश्यक बैठक हुई। जिसमें संगठन के पदाधिकारियों,कार्यकर्ताओं ने अपने लोकप्रिय नेता के मृत्यु पर शोक व्यक्त किया और अश्रुपूरित नयनों से चित्र पर फूल चढ़ाकर भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की गयी और दो मिनट का मौन रखकर मृतक आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। बैठक के दौरान आपसी चर्चा मे कहां गया कि वाजपेयी जी हिन्दी कवि, पत्रकार व एक प्रखर वक्ता थे। जनसंघ के संस्थापकों मे से एक थे। शोकसभा मे मुख्य रुप से जिला कार्यकारिणी सदस्य लुटुर सिंह, नेवढ़िया भाजपा मंडल अध्यक्ष विजय कुमार पटेल,महामंत्री अरुण कुमार मिश्र,मुन्नु गुरु, पूर्व मंडल अध्यक्ष वृजनारायण दूबे,बच्चा, पूर्व मंडल अध्यक्ष सुनील सिंह, दयाशंकर सिंह,भाजपा नेवढ़िया मंडल उपाध्यक्ष, प्रदीप कुमार सिंह, राजेश दूबे,पंकज मिश्र, पिन्टू तिवारी, उमेश दूबे, दरोगा, संजीव श्रीवास्तव, उदरेज पटेल,धन्जय कश्यप,दिलीप सिंह, अनिल तिवारी, टी सिंह,जिलेदार सिंह,राधे पाण्डेय, राजू पाण्डेय, देवेन्द्र सिंह,राहुल सिंह पत्रकार आदि लोग उपस्थित रहे।
वाजपेयी जी को काव्य रचनाशीलता एवं रसास्वाद के गुण विरासत में मिले थे। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर रियासत में अपने समय के जाने-माने कवि थे। वे ब्रजभाषा और खड़ी बोली में काव्य रचना करते थे। पारिवारिक वातावरण साहित्यिक एवं काव्यमय होने के कारण उनकी रगों में काव्य रक्त-रस अनवरत घूमता रहा। उनकी सर्व प्रथम कविता ताजमहल थी। इसमें शृंगार रस के प्रेम प्रसून न चढ़ाकर “एक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताजमहल, हम गरीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मजाक” की तरह उनका भी ध्यान ताजमहल के कारीगरों के शोषण पर ही गया। वास्तव में कोई भी कवि हृदय कभी कविता से वंचित नहीं रह सकता। राजनीति के साथ-साथ समष्टि एवं राष्ट्र के प्रति उनकी वैयक्तिक संवेदनशीलता आद्योपान्त प्रकट होती ही रही है। उनके संघर्षमय जीवन, परिवर्तनशील परिस्थितियाँ, राष्ट्रव्यापी आन्दोलन, जेल-जीवन आदि अनेक आयामों के प्रभाव एवं अनुभूति ने काव्य में सदैव ही अभिव्यक्ति पायी। विख्यात गज़ल गायक जगजीत सिंह ने अटल जी की चुनिंदा कविताओं को संगीतबद्ध करके एक एल्बम भी निकाला था।
मृत्यु
वाजपेयी को २००९ में एक दौरा पड़ा था, जिसके बाद वह बोलने में अक्षम हो गए थे। उन्हें ११ जून २०१८ में किडनी में संक्रमण और कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था, जहाँ १६ अगस्त २०१८ को शाम ०५:०५ बजे उनकी मृत्यु हो गयी। उनके निधन पर जारी एम्स के औपचारिक बयान में कहा गया:
“पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने १६ अगस्त २०१८ को शाम ०५:०५ बजे अंतिम सांस ली। पिछले ३६ घंटों में उनकी तबीयत काफी खराब हो गई थी। हमने पूरी कोशिश की पर आज उन्हें बचाया नहीं जा सका।
वाजपेयी के निधन पर भारत भर में सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गयी। अमेरिका, चीन, बांग्लादेश, ब्रिटेन, नेपाल और जापान समेत विश्व के कई राष्ट्रों द्वारा उनके निधन पर दुख जताया गया।
अटल जी की प्रमुख रचनायें
उनकी कुछ प्रमुख प्रकाशित रचनाएँ इस प्रकार हैं :
मृत्यु या हत्या
अमर बलिदान (लोक सभा में अटल जी के वक्तव्यों का संग्रह)
कैदी कविराय की कुण्डलियाँ
संसद में तीन दशक
अमर आग है
कुछ लेख: कुछ भाषण
सेक्युलर वाद
राजनीति की रपटीली राहें
बिन्दु बिन्दु विचार, इत्यादि।
मेरी इक्यावन कविताएँ
पुरस्कार
१९९२: पद्म विभूषण
१९९३: डी लिट (कानपुर विश्वविद्यालय)
१९९४: लोकमान्य तिलक पुरस्कार
१९९४: श्रेष्ठ सासंद पुरस्कार
१९९४: भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार
२०१५ : डी लिट (मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय)
२०१५ : ‘फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवॉर्ड’, (बांग्लादेश सरकार द्वारा प्रदत्त)
२०१५ : भारतरत्न से सम्मानित
जीवन के कुछ प्रमुख तथ्य
आजीवन अविवाहित रहे।
वे एक ओजस्वी एवं पटु वक्ता (ओरेटर) एवं सिद्ध हिन्दी कवि भी रहे।
परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की संभावित नाराजगी से विचलित हुए बिना उन्होंने अग्नि-दो और परमाणु परीक्षण कर देश की सुरक्षा के लिये साहसी कदम भी उठाये।
सन् १९९८ में राजस्थान के पोखरण में भारत का द्वितीय परमाणु परीक्षण किया जिसे अमेरिका की सी०आई०ए० को भनक तक नहीं लगने दी।
अटल सबसे लम्बे समय तक सांसद रहे हैं और जवाहरलाल नेहरू व इंदिरा गांधी के बाद सबसे लम्बे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी। वह पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने गठबन्धन सरकार को न केवल स्थायित्व दिया अपितु सफलता पूर्वक संचालित भी किया।
अटल ही पहले विदेश मंत्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया था।
अटल जी की टिप्पणियाँ
चाहे प्रधान मन्त्री के पद पर रहे हों या नेता प्रतिपक्ष; बेशक देश की बात हो या क्रान्तिकारियों की, या फिर उनकी अपनी ही कविताओं की; नपी-तुली और बेवाक टिप्पणी करने में अटल जी कभी नहीं चूके। यहाँ पर उनकी कुछ टिप्पणियाँ दी जा रही हैं।
“भारत को लेकर मेरी एक दृष्टि है- ऐसा भारत जो भूख, भय, निरक्षरता और अभाव से मुक्त हो।”
“क्रान्तिकारियों के साथ हमने न्याय नहीं किया, देशवासी महान क्रान्तिकारियों को भूल रहे हैं, आजादी के बाद अहिंसा के अतिरेक के कारण यह सब हुआ।
“मेरी कविता जंग का ऐलान है, पराजय की प्रस्तावना नहीं। वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य-निनाद नहीं, जूझते योद्धा का जय-संकल्प है। वह निराशा का स्वर नहीं, आत्मविश्वास का जयघोष है।
जेडीसिंह संपादक सतगुरु दर्पण