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भगवान की असीम कृपा से दुःख आता है,जिसमें बहुत बड़ा रहस्य छिपा होता है,जिसे जानना आसान नहीं,पार्थ हास्पीटल जौनपुर से दास जगदीश सतगुरु धाम बर्राह का खास अध्यात्मिक संदेश

जौनपुर। मनुष्य को जब दुःख आता है। भगवान की असीम कृपा होती है। जिसमें बहुत बड़ा रहस्य छिपा होता है।जिसे जानना आसान नहीं होता है। दुःख और सुख ईश्वर की सुखद अनुभूति है। आनंद ही जीवन है। हर मनुष्य को चाहिए बच्चों को अच्छा संस्कार दीजिए।‌ उनको ऐसा संवारिये और ऐसी उनकी प्रकृति तैयार करिये कि वह स्वयं में आत्म निर्भर बने। स्वयं जगे, स्वयं को जाने, स्वयं को माने। जब ऐसी सोच बनेगा मैं कौन हूं,धरती पर किसलिए आया हूं।‌ धीरे,धीरे अन्तर आत्मा में बैठे दुनिया को संचालित करने वाले परमपिता परमेश्वर से लगाव बनेगा। लगन लगेगी। जब भगवान आप के साथ है तो दुनिया आपके साथ है। जापर कृपा राम कय होई,तापर कृपा करहि सब कोई। यह दुनिया है। जहां आना,जाना लगा है।‌ कर्म का फल है।‌ जैसी करनी वैसी भरनी।‌जैसा सोचेंगे वैसा बनेंगे। जो मानव आपके अपने है जन्म जन्मांतर से है वह आपके साथ है। आपके के सुख और दुःख दोनों के साथी है।‌ ईश्वर पैर की हड्डी न तोड़ता तो वैराग्य कैसे होता। अपने और पराये का पहचान कैसे होता। कम से कम तो यह समझ मे आ गया कौन अपना है, कौन पराया है। मुसीबत में जो साथ दे दुआ करें वहीं अपना है। बाकी तो मतलब की दुनिया है।‌ मतलबी जो होता है,वह किसी का नहीं होता। वह जिससे जुड़ता है उसमें अपना स्वार्थ देखता है। स्वार्थ सधा फिर कोई मतलब नहीं।‌ बहुत से लोग होते हैं। जो सिर्फ यूज करते हैं। फिर कचड़े की तरह फेंक देते हैं। हालांकि उनका भी हश्र अच्छा नहीं होता। कर्म की अपनी महानता है। जो व्यक्ति जैसा कर्म करेगा, वैसा उसका जीवन होगा। अच्छा कर्म है तो‌ अच्छा होगा।‌ बुरा कर्म है तो बुरा होगा। हालांकि अध्यात्मिक और धार्मिक मान्यताओं में अच्छा कर्म करने पर जोर है। दुनिया में सब सुनिश्चित है।‌कब कहां क्या होना है। यह विचार पार्थ हास्पीटल में आया तो यह ईश्वर की मर्जी है और पहले से सुनिश्चित था। ऐसा होगा। आप मानव है तो मानवता लाइये,नर सेवा, नारायण सेवा भारत देश की मूल संस्कृति है। इसलिए यह देश महान है। निश्चित तौर से मैं बेहद अभिभूत हूं मेरे चाहने वाले शुभ चिन्तको, आदरणीय जनों,स्नेही मित्रों,ग्रामवासियों,क्षेत्रवासियों, प्रबुद्ध जनों, धार्मिक गुरूओ,पत्रकार एवं संपादक साथियों ने दूरभाष से फोन करके,हास्पीटल आकर मिलकर, फेसबुक और व्हाट्सप के माध्यम से दुःख की इस घड़ी में जो आशीर्वाद रुपी प्यार लुटाया है,उसके लिए दिल से आभार जताते हुए कृतज्ञता जाहिर करते हैं।आप सबकी कृपा बनी रहे यही ईश्वर से प्रार्थना करता हूं। दास जगदीश सतगुरु धाम बर्राह जौनपुर

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