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छल और कपट के हाथों लोग बेच रहे अपना ईमान, देख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान, कितना बिगड़ गया इंसान

सतगुरु धाम। जौनपुर।  धरती पर अनेकों जीव है। सबका अपना. अपना स्वभाव है। मनुष्य को सबसे उत्तम प्राणी माना गया है। संसार अपनी गति से चल रहा है। विचारों का आदान. प्रदान हो रहा है।न्याय संगत बातें कम है। वैचारिक विरोधाभास ज्यादें है। किसी भी मनुष्य के मुह पर उसकी प्रशंसा होती है तो वह बेहद खुश नजर आता है। आज के परिवेश मे ऐसे भी कुछ लोग होते है मुंह पर तो प्रशंसा करते है। लेकिन आड़ मे जब होते है तो भला. बुरा कहते है। ऐसे लोगों की संख्या काफी हो गयी है। समाज मे बहुतों लोग ऐसे भी है।जो बात कहनी होती है अच्छाई हो या बुराई  साफ. साफ मुंह पर कहते है।  कुछ इंसानों  का दिल साफ होता है तो कुछ लोगों का गंदा होता है। जिसके दिल के अन्दर अच्छाई है वह अच्छा काम कर रहा है जिसके अन्दर.बुराई की बदबू है वह गन्ध फैलाकर समाज को प्रदूषित कर रहा है। प्रकृति मे तरह. तरह की घटनाएं घट रही है। जिसमें कर्म और अकर्म का जाल है। भारत देश महान है। जिसमें सत्य पथ के पथिक पवित्र भावना  से भगवान के पावन संदेश को जन. जन मे प्रसारित कर रहे है। फिल्म नास्तिक में सन 1954 मे  कवि प्रदीप ने देख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान कितना बिगड़ गया इंसान, चांद न बदला न सूरज बदला न बदला आसमान कितना बिगड़ गया इंसान। गीत लिखा। जिसे लतामंगेशकर  ने सुरीली आवाज दिया। वर्तमान परिवेश मे मनुष्य की प्रवृत्ति मे काफी बदलाव देखा जा रहा है। बुरे इंसान को अच्छा कहां जा रहा है।अच्छे इंसान को बुरा कहा जा रहा है। फिल्म का गीत आज के समय मे भी समाज मे व्याप्त कुरीति को दर्शा रहा है। जो बात पहले रही वह आज भी है। छल और कपट के हाथ लोग आज भी अपने ईमान को बेच रहे है। जेडीसिंह

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