कुंभ। प्रयाग। भारत दर्शन का अनूठा संगम प्रयाग राज मे दिख रहा है। यूपी के पावन भूमि पर गंगा .यमुना .सरस्वती के संगम तट पर भारतीय संस्कृति के विविध रुप को देखकर हर कोई विमोहित है। आत्मा परमात्मा से मिल जाय। सांसारिक बंधनों से छुटकारा मिल जाय। ऐसी भावना के साथ साधक भगवान की भक्ति मे लीन है और सुख और शांति का कुंभ मे अनुभव कर रहा है। देश.विदेश के आस्थावान स्नान, ध्यान, दर्शन, पूजन, भजन,सिमरन के माध्यम से ईश्वर की भक्ति मे अभिभूत नजर आ रहे है। भगवान की बनाई हुई दुनिया का नजारा यहां कुछ और है। जिसे देख आत्मा पुलकित है। उत्तर प्रदेश के शक्तेगढ़ मिर्जापुर के पूज्य संत स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज आज यथार्थ गीता कैम्प मे भक्ति का वास्तविक स्वरूप क्या है पर प्रकाश डालते हुए भक्तों के वीच बोले कि परमात्मा मे विलय हो जाना भक्ति का विशुद्ध अर्थ है। उन्होंने कहां कि भक्ति तात अनुपम सुख मूला। मिलई जो संत होहिं अनुकूला। अनुपम एवं सुख का श्रोत केवल भगवान की भक्ति है।जो केवल संतो से सुलभ है जब वह अनुकूल हो जाय। संगत को दोउ भले,एक संत एक राम।
राम जो दाता मुक्ति के संत जपावे नाम। संतो के शरण से ही नाम जप की विधि मिलती है। तब साधक भगवान की भक्ति मे प्रवृत्त होकर मुक्ति को प्राप्त करता है। यानि आत्मा का उद्धार हो जाता है। भक्ति समागम मे मौनी बाबा, रामजी बाबा, भावानंद जी महाराज, तानसेन जी महाराज, राजेश्वरानंद जी,गिरी बाबा, बच्चा महाराज, संतोष बाबा, लाले बाबा, पप्पू बाबा, शशि बाबा, कुंवर बाबा, शर्मा बाबा, राजाराम महाराज सहित हजारों भक्त उपस्थित रहे। जेडीसिंह सतगुरु धाम
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