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सावन माह शिव को प्रसन्न करने का अवसर,मड़ियाहू कस्बे में शिवभक्तो को बांटा गया लड्डू का प्रसाद

मड़ियाहू। जौनपुर। सावन महीना आते ही चारो तरफ बोल बंम का नारा गुजने लगा है। कावरिया कांवर लेकर शिवालयों में पहुंच रहे है और भगवान भोले नाथ को जलाभिषेक करके आत्मिक शुकून और  शांति का अनुभव कर रहे है। शिव भक्तों की सेवा में जगह ,जगह लोग स्टाल लगाकर चाय,पानी,नास्ता,भोजन आदि का प्रबंध किये है। कावरिया को देखते ही श्रद्धांलु बड़े आदर से सेवा को स्वीकार करने का आग्रह करते है। शिव भक्त सेवा को स्वीकारते हुए अन्न,जल,चाय,नास्ता ग्रहण कर आगे बढ़ जाते हैं। शनिवार को मड़ियाहू कस्बे में सलाम नमस्ते संस्था द्वारा शिवभक्तो की सेवा में स्टाल लगाया गया। उधर से गुजरने वाले  हर शिवभक्तो को प्रसाद स्वरूप लड्डु और पानी का  पाउच वितरित किया गया। इस अवसर पर मेराज TVs, अमित तिवारी,अशोक कुमार कुशवाहा, मल्लू निगम,शहजादे, हिमान्शु,बबलु हलवाई,आरिफ आदि सहित अन्य लोग उपस्थित रहे। सावन महीना शिव को बेहद पंसद है। आइये जानते है सावन और शिव के बारे में।

श्रावण के महीने को भगवान शिव का प्रिय मास माना जाता है। यही कारण है, कि इस महीने में महादेव की पूजा, आराधना का विशेष महत्व होता है। भगवान शि‍व को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु सामर्थ्य अनुसार व्रत, उपवास, पूजन, अभि‍षेक आदि करते हैं। इस माह में की गई उपासना का विशेष फल भक्तों को प्राप्त होता है। लेकिन आखि‍र शि‍व की आराधना के लिए यह माह विशेष क्यों है ?

भगवान शि‍व को सावन का महीना इतना प्रिय क्यों है, इसे लेकर एक पौराणि‍क कथा प्रचलित है, जिसमें सनत कुमारों द्वारा भगवान शिव से सावन माह के प्रिय होने का कारण पूछा, तो भगवान शिव ने इसका उत्तर दिया- कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति द्वारा अपने देह का त्याग किया, उससे पहले देवी सती ने महादेव को प्रत्येक जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने राजा हिमाचल और रानी मैना के घर में पार्वती के रूप में जन्म लिया और पार्वती के रूप में देवी ने अपनी युवावस्था में, सावन के महीने में अन्न, जल त्याग कर, निराहार रह कर कठोर व्रत किया था। मां पार्वती के इस व्रत से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने देवी पार्वती से विवाह किया। तभी से भगवान महादेव सावन का महीन अतिप्रिय है।

इसके अलावा सावन मास के लिए यह भी मान्यता है, कि भगवान शिव सावन के महीने में धरती पर अवतरित होकर अपनी ससुराल गए थे और वहां उनका स्वागत अर्ध्य देकर, जलाभिषेक कर किया गया था।

अत: माना जाता है, कि प्रत्येक वर्ष सावन माह में भगवान शिव अपनी ससुराल आते हैं। इसीलिए भक्तगण इस महीने में उनकी भक्ति में लीन रहते हैं, जिससे शिव की कृपा प्राप्त हो सके। सावन माह को शि‍व भक्ति के लिए उत्तम मान गया है। जेडी सिंह

 

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