जौनपुर। सावन माह भगवान शिव को अति प्रिय है। भक्तों के लिए वरदान है। प्राकृतिक वातावरण हरा,भरा है। सावन का महीना पूरी तरह से भगवान शिव को समर्पित रहता है। इस माह में विधि पूर्वक शिवजी की आराधना करने से, मनुष्य को शुभ फल भी प्राप्त होते है।इन दिनों शिव मंदिरों में रुद्राभिषेक का दौर चल रहा है।मड़ियाहू तहसील के नोकरा गांव में लोकदल के राष्ट्रीय सचिव घनश्याम दूबे के पुत्र रोहित दुबे और बहू वैशाली दूबे ने स्थानीय शिवमंदिर में भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया।अवसर पर विनयकान्त मिश्र,शीतला प्रसाद मिश्र,रमेश मिश्र ने वैदिक मन्त्रों का उच्चारण किया और लगातार कई घण्टे तक रुद्राभिषेक होता रहा।
श्रावण माह में भगवान शिव के ‘रुद्राभिषेक’ का विशेष महत्त्व है। इसलिए इस माह में, खासतौर पर सोमवार के दिन ‘रुद्राभिषेक’ करने से शिव भगवान की कृपा प्राप्त की जा सकती है। अभिषेक कराने के बाद बेलपत्र, शमीपत्र, कुशा तथा दूब आदि से शिवजी को प्रसन्न करते हैं और अंत में भांग, धतूरा तथा श्रीफल भोलेनाथ को भोग के रूप में चढ़ाया जाता है।
सावन माह के बारे में एक पौराणिक कथा है कि- “जब सनत कुमारों ने भगवान शिव से सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो भगवान भोलेनाथ ने बताया कि “जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने सावन महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और शिव को प्रसन्न कर उनसे विवाह किया, जिसके बाद ही महादेव के लिए यह विशेष माह हो गया।
वैसे सावन की महत्ता को दर्शाने के लिए और भी अन्य कई कहानी बताई गयी हैं जैसे कि मरकंडू ऋषि के पुत्र मारकण्डेय ने लंबी आयु के लिए सावन माह में ही घोर तप कर शिव की कृपा प्राप्त की थी।
कुछ कथाओं में वर्णन आता है कि इसी सावन महीने में समुद्र मंथन किया गया था। मंथन के बाद जो विष निकला, उसे भगवान शंकर ने पीकर सृष्टि की रक्षा की थी।
किन्तु कहानी चाहे जो भी हो, बस सावन महीना पूरी तरह से भगवान शिव जी की आराधना का महीना माना जाता है। यदि जो भी व्यक्ति पूरे विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करता है, तो वह सभी प्रकार के दुखों और चिंताओं से मुक्ति प्राप्त करता है।