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अंग्रेजों के दयावंत मड़ियाहू के विकास पुरुष,जो दूसरों के लिए जीवेगा उसकी महानता कभी नहीं घटती

जौनपुर।जो दूसरों के लिए जीवेगा, उसकी महानता कभी घटती नहीं।हितकारी सोच के लोग मानवता के पुजारी होते है।उनकी सत्यनिष्ठा दयालुता के लिए जानी जाती है।मड़ियाहू शहर के विकास की एक लौ है स्व. तुलसीराम दयावंत जी।जिनके बारे में समाजसेवी अनुज कुमार

मोदनवाल ने बताया कि सामाजिकता के सजग प्रहरी थे।जनमानस के भलाई का सोच था।ज्ञान की गंगा बहाकर मड़ियाहू के लोगों में शिक्षा की अलख जगाई। धर्मशाला,कई स्कूल,गोशाला,वसुही नदी का पुल आम लोगों के सहयोग से बनवाकर अंग्रेजों की निगाह में दयावंत हो गये।वसुही नदी पुल सीर,जमालापुर सन् 1930 में बना है।शिलापट्ट लगा है।जिसमें दयावंत के उत्कृष्ट कार्य का जिक्र है।मोदनवाल ने बताया कि सई नदी पर भी जनता के सहयोग से पुल बनवाने की चेष्टा रख अग्रेंजी हुकुमत से मिले।बात रंखे अग्रेंज अधिकारी ने कहां कि यह काम सरकार का है।यही मुलाकात के दौरान मानवीय दयालुता को देख तुलसी राम का नाम अंग्रेज ने दयावंत रख दिया। जिसकी ख्याति आज भी है।जेडी सिंह

 

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