BREAKING NEWS
Home / सुर्खियां / आपके अन्त:करण की वृत्तियां ही सभी समस्याओं का जड़,पूज्य स्वामी अडगडानंद जी महाराज

आपके अन्त:करण की वृत्तियां ही सभी समस्याओं का जड़,पूज्य स्वामी अडगडानंद जी महाराज

योग कहता है- चित्त वृत्ति का निरोध करें। क्योंकि सभी समस्याओं की जड़ तो आपके अन्तःकरण की वृत्तियाँ ही हैं।
वेदान्त कहता है- इसमें बहुत परिश्रम है और ऐसा संभव होगा कि नहीं, इसमें भी सन्देह है। अगर हो भी जाए, तो क्षणिक ही होगा। जैसे कोई मनुष्य धरती से छलाँग लगाए तो आकाश में कितनी देर तक टिक सकता है? फिर तो उसे पृथ्वी पर आना ही पड़ेगा। योंही वृत्तियों का निरोध कितनी देर टिकेगा? फिर तो वृत्ति उठेगी, फिर वृत्तिध्यास होगा ही, वृत्तिध्यास से पुनः देहाध्यास भी होगा ही। और मूल बात यही है कि यह देहाध्यास ही आपके अशांति, दुख, भय, जन्म-मृत्यु का एकमात्र कारण है।
अन्य में अन्य का भ्रम हो जाना ही अध्यास है। जैसे रस्सी में सर्प का भ्रम हो जाना सर्पाध्यास है, इसी तरह देह में मैं-पन का भ्रम हो जाना देहाध्यास है।
वेदान्त कहता है- बाध करो! बाध माने मिथ्यात्व निश्चय।
मिथ्या किसे कहते हैं? जो न हो लेकिन दिखाई दे, वही मिथ्या है।
रजत सीप महुँ भास जिमि जथा भानु कर बारि।
जदपि मृषा तिहुँ काल सोइ भ्रम न सकइ कोउ टारि॥
-(श्रीरामचरितमानस, बालकाण्ड ११७)
वृत्तियाँ अलग हैं, वृत्तियों का साक्षी, वृत्तियों को जानने वाला, आप का अपनाआपा आत्मा उन वृत्तियों से अलग है। वृत्तियाँ बनती हैं, बिगड़ती हैं, आती हैं, जाती हैं। लेकिन आत्मा एकरस रहता हुआ सभी आने-जाने वाली वृत्तियों का साक्षी बना रहता है।
विचार करें! वृत्ति चाहे पाप की हो, चाहे पुण्य की, उन पाप पुण्य वाली वृत्तियों से आप साक्षी आत्मा का क्या संबंध है? कोई नहीं।
बस इसी बोध को, माने वृत्तियों से अलग आत्मस्वरूप के बोध को ही बाध कहते हैं। और यह बोध केवल मात्र तभी संभव है, जब किसी समकालीन तत्वनिष्ठ महापुरुष का सानिध्य प्राप्त हो। दूसरा कोई रास्ता नहीं है।

About jaizindaram

Crazy Time spielenCrazy Time onlinegioca a Crazy Timejugar Crazy Timespela Crazy Timeplay Crazy TimeRoyal Reels pokies onlineWingaga casino