जौनपुर। सनातन धर्म मे जब बच्चा जन्म लेता हैं, जन्म के समय ग्रह नक्षत्रों की जो स्थिति रहती हैं उसके अनुरूप ही शिशु के भविष्य का आक्लन ज्योतिष शास्त्र करता हैं,ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 नक्षत्रों का उल्लेख आता है.इनमें से कुछ शुभ तो कुछ अशुभ नक्षत्र होते है,अगर अशुभ नक्षत्र हो तो उसे गंडमूल नक्षत्र कहा जाता है और गंडमूल नक्षत्रों की श्रेणी में अश्विनी,अश्लेषा,मघा,ज्येष्ठा, मूल और रेवती नक्षत्र आते है,कहा जाता है कि अशुभ नक्षत्र अपना बुरा प्रभाव दिखाते ही हैं और शुभ नक्षत्र होने पर शुभफल मिलता हैं,अगर कोई बच्चा गंडमूल नक्षत्र में जन्म लेता तो उसे अशुभ माना जाता है,और ऐसे बच्चों के जीवन में अधिकतर समय परेशानी बनी रहती है।
ज्योतिष के अनुसार ऐसी मान्यता हैं कि गंडमूल नक्षत्र में जन्में बच्चे ना सिर्फ अपने लिए बल्कि कभी कभी अपने परिवार के लिए भी परेशानी बन जाते है,लेकिन गंडमूल नक्षत्र में जन्में बच्चों को अशुभ ही नहीं बल्की शुभ फल भी मिलता है और उच्च पद के अधिकारी भी बनते है,जीवन में इन्हें मान-सम्मान की प्राप्ति होती हैं,सभी नक्षत्रों के कुल चार चरण होते हैं एवं प्रत्येक चरण के अनुसार व्यक्ति के माता-पिता,भाई-बहन या परिवार के किसी भी अन्य सदस्य पर अपना प्रभाव दर्शाने लगते है,गंडमूल दोष भिन्न-भिन्न कुंडलियों पर अलग-अलग तरह से बुरे प्रभाव छोड़ता है।
गंडमूल नक्षत्र का प्रभाव कुंडली में इन 6 नक्षत्रों में से किसी एक में चन्द्रमा की स्थिति,किस भाव में नक्षत्र स्थित हैं,जन्म पत्रिका में दूसरे शुभ या अशुभ ग्रहों का चन्द्रमा पर कैसा प्रभाव पड़ रहा है,कुंडली में किस भाव का स्वामी चंद्रमा हैं,इन सब बातों पर निर्भर करता है,यदि यह दोष किसी कुंडली में बनता भी है तो भी इसके नकारात्मक प्रभाव भिन्न -भिन्नं कुंडलियों में अलग होते हैं ।
1- अश्विनी नक्षत्र - इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले बच्चें एक राजा के जैसा जीवन जीते हैं, ऐसे व्यक्ति जीवन में समृद्ध होते हैं और किसी ऊंचे पद पर भी आसीन होते हैं, लेकिन इस नक्षत्र में जन्में बच्चों के पिता को कोई न कोई कष्ट बना रहता है,
2- अश्लेषा नक्षत्र - इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले बच्चे अनावश्यक वस्तुओं पर फिजुल पैसा खर्च करते है, इन्हें माता-पिता से संबंधित परेशानियां होती हैं एवं भाई के साथ इनका संबंध अच्छा नहीं होता।
3- मघा नक्षत्र - इस नक्षत्र में जन्में बच्चों को माता-पिता के कारण परेशानी झेलनी पड़ती है, लेकिन ये अत्यधिक धन कमाते हैं एवं समृद्ध होते हैं ।
4- ज्येष्ठा नक्षत्र - इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले बच्चों की अपने से छोटे भाईयों से मतभेद बना रहता है, स्वयं से नाखुश भी रहते है एवं अपनी माता के स्वभाव से भी ये संतुष्ट नहीं होते ।
5- मूल नक्षत्र - इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले बच्चों को जमीन और प्रॉपर्टी का नुकसान होता है,ये बहुत खर्चीलें भी होते है एवं ऐसे बच्चों के कारण माता-पिता को कष्ट सहना पड़ता है ।
6- रेवती नक्षत्र - इस नक्षत्र में जन्में बच्चे स्वयं से संतुष्ट और खुश रहते हैं, इन्हें सरकारी पक्ष से लाभ मिलता है। जिले के जफराबाद विधायक जगदीश नारायण राय नवापुर ग्राम सभा के गोसाईपुर मे बेचन विश्वकर्मा के यहा मूल नक्षत्र शान्ति यज्ञ मे भाग लेने पहुँचे तो वहा उपस्थित आम जन ने आत्मीय सम्मान किया। माल्यार्पण करके अभिवादन हुआ। अजीत विश्वकर्मा के पुत्र के मूल नक्षत्र शान्ति यज्ञ मे विद्वान ब्राहमण ने सनातन वैदिक मन्त्रोचारण से मूर शान्ति की पूजा को संपन्न कराया गया। अवसर पर सुनीता सिंह प्रधान नवापुर, अजय सिंह पप्पू,महेंद्र यादव ऐडोवोकेट,संजीव, लालमन यादव,रामलोचन यादव,शतीश यादव,सुजीत विश्वकर्मा,प्रेम चन्द विश्वकर्मा,सहित अनेको लोग उपस्थित रहे।पूजन विधि के उपाय से मूल नक्षत्र मे जन्मे बच्चो का जीवन मंगलकारी और शुभकारी होता है,ऐसी मान्यता है। जेडी सिंह
Home / सुर्खियां / शिशु के मूल ग्रह नक्षत्र शांति यज्ञ मे पहुंचे जफराबाद विधायक जगदीश नारायण राय, नवापुर ग्राम सभा के लोगो ने किया भव्य स्वागत