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होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का है प्रतीक,जबकि रंगावली होली खुशी,उल्लास और मस्ती का है त्योहार

जौनपुर। मानव जीवन के दो पहलू है। अच्छाई और बुराई, जब कभी बुराई पर अच्छाई की जीत होती है। मनुष्य के अन्दर अपार प्रसन्नता का भाव उत्पन्न होता है। होली और होलिका दहन में क्या है अंतर, जानें इनका धार्मिक महत्व होलिका दहन और रंगवाली होली, दोनों ही होली त्योहार के महत्वपूर्ण अंग हैं. होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, जबकि रंगवाली होली खुशी, उल्लास, और मस्ती का त्योहार है।
होली और होलिका दहन, दोनों ही हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहार हैं, लेकिन इन दोनों में अंतर होता है. होली रंगों से भरा त्योहार है जो फाल्गुन मास के पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस दिन लोग एक दूसरे पर विभिन्न प्रकार का रंग फेंकते हैं, खुशियाँ मनाते हैं और मिलकर प्रसन्नता का उत्सव मनाते हैं. यह त्योहार प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है जिसमें लोग एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं. होलिका दहन एक दिन पहले होली से पहले मनाया जाता है. इस दिन लोग होली के आगमन की तैयारी करते हैं. होलिका दहन में लोग होलिका के रूप में एक प्रकार की प्राचीन परंपरा के अनुसार होम करते हैं. इस रीति-रिवाज के अनुसार, लोग होली के आगमन की खुशी में आग के चारों ओर बैठकर ध्यान करते हैं और अच्छाई के लिए प्रार्थना करते हैं. इसे होलिका दहन के रूप में जाना जाता है और यह होली के प्रारंभ का पहला चरण होता है. होली और होलिका दहन दोनों ही एक-दूसरे के पूरक होते हैं और इन्हें मिलकर मनाने से हमें धार्मिक और सामाजिक एकता का अनुभव होता है।
होलिका दहन होली का पहला दिन होता है. यह फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इस दिन शाम को लोग लकड़ी, उपले और गोबर के कंडे इकट्ठा करके होलिका का ढेर बनाते हैं. होलिका का ढेर बुराई का प्रतीक माना जाता है. शाम को होलिका दहन किया जाता है और लोग ढोल-नगाड़े बजाते हुए होली के गीत गाते हैं. होलिका दहन के बाद लोग एक दूसरे को रंग लगाते हैं.

होली: होली होलिका दहन के अगले दिन मनाई जाती है. इसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है. इस दिन लोग एक दूसरे को रंग, अबीर और गुलाल लगाते हैं. लोग पानी के गुब्बारे भी फोड़ते हैं और ढोल-नगाड़े बजाते हुए होली के गीत गाते हैं. होली खुशी और उल्लास का त्योहार है.
होलिका दहन होली का पहला दिन है, जबकि होली दूसरा दिन है. होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, जबकि होली खुशी और उल्लास का त्योहार है. होलिका दहन शाम को किया जाता है, जबकि होली अगले दिन सुबह और दोपहर में मनाई जाती है।

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