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काटा से काटा भिड़ाकर जौनपुर लोकसभा चुनाव जीतने के प्रयास मे है भाजपा शीर्ष नेतृत्व,बसपा और सपा के मजबूत किलेबंदी से राह आसान नही

जौनपुर। जिले के लोकसभा चुनाव की राजनीति धीरे,धीरे धारदार होती नजर आ रही है। वोटो के ध्रुवीकरण का प्रयास तेज है। भाजपा शीर्ष नेतृत्व महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्य मंत्री कृपाशंकर सिंह को जौनपुर से लोकसभा उम्मीदवार बनाकर मुकाबला जीतना चाह रही है। कृपा के जौनपुर की धरती पर पग रहते ही जिले मे भूचाल आ गया। खुशी और गम की भी बात रही है। राजनैतिक प्रकृति मे तेजी से बदलाव आ रहा है। फिर खुशी और गम के माहौल मे राजनीति के बहुत बारीक खिलाड़ी कृपाशंकर सिंह हर दाव आजमाकर जीत सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे है। जन्मभूमि जौनपुर है। कर्मभूमि मुबंई है। जमीनी राजनैतिक धरातल भाजपा की वजह से मजबूत है। व्यक्तिगत लगाव और जुड़ाव की बात करे तो शहर और आस-पास के गांवो मे कुछ लोग है जो वीआईपी कल्चर मे आते है। जो अति नजदीकी है और आत्मीयता से जुड़े है और कृपाशंकर के पक्ष मे मजबूती से माहौल बनाकर चुनाव जीतने के भरसक प्रयास मे लगे है।कृपा ,कृपा बरसाते है। शंकर शब्द को यदि परिभाषित किया जाय तो उसके तमाम मायने होते है। जौनपुर की जो वर्तमान राजनीति है। श्रीकला धन्जय सिंह बसपा उम्मीदवार की चर्चा कुछ खास है। धन्जय का जेल जाना,जमानत मिलना। धन्जय सिंह की पत्नी श्रीकला का मीडिया मे बयान आना प्रधानमंत्री से मंगलसूत्र और सिन्दूर की रक्षा का गुहार करना। पति के जान को खतरा बताना। एक सहानुभूति की लहर है। श्रीकला के बयान के बाद धन्जय सिंह के कभी दोस्त रहे जैसी लोगो मे चर्चा है। विधायक अभय सिंह का पलटवार जबरजस्त रहा। सोशल मीडिया मे जो बयान आया,उसकी भी एक सनसनी बनी। धन्जय सिंह का जौनपुर की राजनीति मे एक छाप है। जनता से सदैव जुड़े रहना,सुख दुख मे साथ रहना,शादी-विवाह,मरनी,करनी मे पूरी तन्मयता से जो जरुरतमंद है उनकी मदद करना। आज के दौर मे यह सब मायने रखता है। एहसान को लोग चुकाना चाहते है। धन्जय सिंह मे चाहे जितना दुर्गुण हो लेकिन जनता से जुड़ाव होने की वजह से लोग पसंद करते है और अपना नेता मानते है। बसपा से उम्मीदवारी और श्रीकला का चुनाव लड़ना। जौनपुर लोकसभा चुनाव को रोचक बना दिया है। बसपा का सालिड वोट और धन्जय का वोटर मिलकर चुनाव का रुख अपनी ओर कर सकते है। सहानुभूति और लोकल फैक्टर साथ जुड़ सकता है। सपा उम्मीदवार बाबूसिंह कुशवाहा कुशल वक्ता है। राजनीति के मजे खिलाड़ी है। दाव बिठाने मे माहिर है। जौनपुर मे सपा मजबूत धारा मे है। सपा के परंपरागत मत मे यदि बिखराव न हुआ तो सपा मजबूत लड़ाई मे हो सकती है। जन्म और कर्म क्षेत्र दूर होने का कुछ प्रभाव पड़ सकता है। भाजपा,सपा, बसपा मे वोटो का ध्रुवीकरण जिधर ज्यादा होगा,उसके जीतने की संभावना बन सकती है। कृपाशंकर सिंह की भाजपा और बाबूसिंह कुशवाहा की सपा की वजह से मजबूती है। व्यक्तिगत देखा जाय तो जौनपुर मे राजनैतिक धरातल दोनो नेताओ की उतनी मजबूत नही है। जितनी होनी चाहिए। भाजपा शीर्ष नेतृत्व काटे से काटा भिड़ाकर चुनाव जीतने का प्रयास कर रही है। जबकि सपा का जो दाव है वह भी बेहद मजबूत है। ऐसे मे जिसकी किस्मत मे सांसद बनना विधि के विधान मे लिखा होगा। वह सांसद बनेगा। जेडी सिंह संपादक

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