जौनपुर। 2024 लोकसभा चुनाव के कई चरण का चुनाव हो गया है। अभी कुछ चरण का होना बाकी है। चुनावी लड़ाई शहजादे से शहंशाह तक पहुंच गयी है। एक तरफ इण्डिया गठबंधन तो दूसरे तरफ एनडीए गठबंधन के बीच राजनैतिक घेराबंदी है। भाजपा चार सौ के पार का नारा देकर विरोधीओ का नीद हराम कर दिया है। इधर विरोधी ठीक इसके उलट चार सौ पार का मतलब जनता जनार्दन को बखूबी समझा दिये है। चुनावी हलचल मे बात यह कि भाजपा संविधान बदलना चाह रही है और आरक्षण खत्म करना चाह रही है। यह बात धीरे,धीरे लोगो के मन मे घर कर रही थी। भाजपा को जब बात समझ आयी तो भाजपा ने ऐसे,ऐसे वैचारिक तीर छोड़े कि विरोधीओ की राजनीति कमजोर पड गयी। विरोधी दल पूरी ताकत से मोदी और योगी लहर रोकने का प्रयास कर रहे है। लेकिन जनता मोदी और योगी नाम का रट लगाये है। हालांकि सभी राजनैतिक दलो के अन्दर टिकट बंटवारे को लेकर कुछ न कुछ अनबन है। बाबजूद लोग दल के साथ खड़े नजर आ रहे है। भ्रष्टाचारी और अपराधी उम्मीदवारो पर तंज है। बाहरी बनाम लोकल का भी मुद्दा जोर शोर से उठ रहा है। भाजपा के पास लाभार्थीओ की संख्या है। सबका साथ,सबका विकास और सबका विश्वास का नारा काफी प्रभावी है। भारत देश की अधिकांश जनता को राजनीति मे मोदी और योगी सबसे ज्यादे पसंद है। मोदी के बाद योगी का नाम सबकी जुबान पर है। राजनैतिक तेवर को लेकर अमितशाह भी खासे चर्चा मे है। चार सौ पार के नारा को साकार करने के लिए अमितशाह हर तरह के राजनैतिक रणनीति का सहारा ले रहे है। भाजपा संगठन इतना मजबूत है कि हर गांव मे लगभग 50 से अधिक कार्यकर्ता हो सकते है। अमितशाह के नाम का लोगो मे भय भी है। विरोधी दल के नेता और कार्यकर्ता भी अमितशाह का नाम लेते है। लेकिन मिजाज मे एक अलग ढंग का व्यवहार दिखता है। भाजपा मे भी टिकट बंटवारे और थोपे गये प्रत्याशीओ को लेकर अमितशाह के नाम की चर्चा है। दरअसल अमितशाह ही ऐसे राजनीति के चतुर खिलाड़ी है। जिनकी बदौलत नरेंद्र मोदी तीसरी बार बन सकते है भारत देश के प्रधानमंत्री। जगदीश सिंह संपादक