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बिजली बिल रुपी करेन्ट से उपभोक्ता त्रस्त,उर्जा मंत्री मस्त,बिलिग समस्या से जनता चाहती है निजात, आप गौर फरमाये,बेचारे लाइनमैनो पर कृपा बरसाये,सोचे,पीड़ा को समझे,ठेकेदारो पर नकेल लगाये,फिर रामराज पाये

जौनपुर। विद्युत विभाग की सेवा सराहनीय है। उजाला है। रोशनी की चकाचौंध है। मशीनीयुग उर्जा पर आधारित है। मानव का आन्तरिक उर्जा से मानव शरीर संचालित है। जो जानलेवा विद्युत करेन्ट का खोज किया। पावर मे आज सब मानस है। सबका अपना अपना पावर है। लेकिन विद्युत पावर के आगे सब धाराशाही हर वक्त, हर दिन, हर रात है।आधुनिक युग मे टेक्नोलॉजीज का खेल है। हालांकि पावर विद्युत के श्रोत बढ़ रहे है। आज भी अधिकांश लोग सरकारी बिजली से ही उपभोक्ता बन बिजली खरीद रहे है। सरकार सस्ती बिजली खरीदकर जनता को महंगी बिजली बेच रही है। पावर सप्लाई मे पहले से बहुत ज्यादा सुधार है। तार पोल खम्भे जर्जर बदले गये। अगर देखा जाय तो यह विभाग विद्युत करेन्ट के माध्यम से उपभोक्ताओ का खून चूस रही है। उपभोक्ता पर विभाग का कर्ज हमेशा चढ़ा रहता है। लाख बिजली उपभोक्ता मुक्ति चाहे मिलना मुश्किल है। सात हजार बिल है पैंतीस हजार होने मे देर नही लगेगी। बार,बार गलती,साफ्टवेयर की या जानबूझकर उपभोक्ताओ को परेशान करना आदत सी हो गयी है। विभागीय सुधार मे भी फायदा के दाव। जो उचित मूल्य है उचित समय पर विभाग को वसूलने का अधिकार है। लेकिन उपभोक्ताओ को बिल बढ़ाकर दाम वसूलने के पीछे आखिर क्या मन्शा है। आज अमूमन चौराहे,तिराहे,गांव नगर शहर मे विद्युत विभाग के ज्यादती का चर्चा है। बिलिग समस्या से उपभोक्ता निजात चाहता है। बिजली विभाग से जनता त्रस्त है। उर्जा मंत्री मस्त है,विद्युत करेन्ट से जनता का खून चूसा जा रहा है। सरकार के साथ विपक्ष भी सो रहा है। बिजली जनता की आम बुनियादी जरूरत है। जिसे सरकार को मुहैया करना होगा,उपभोक्ता और विद्युत विभाग को मिलकर व्यवस्था को बेहतर बनाना होगा। उत्तर प्रदेश सरकार के उर्जा मंत्री को उपभोक्ताओ के हित की भी चिन्ता होनी चाहिए। ठेकेदारी जैसी कुप्रथा की विसंगतियो ने विभाग की दयनीय दिशा की ओर धकेल दिया है। रात दिन उपभोक्ताओ सेवा मे जुड़े लाइनमैन जो रात दिन काम कर रहे है। जो कार्पोरेशन के प्राण है। न जाने कितने लाइनमैन बिजली का तार जोड़ते,जोड़ते शहीद हो गये। आज भी काम कर रहे है। कोई खास सुविधा नही। ठेकेदार भुगतान देने मे भी देरी करता है। ठेकाकरणीय व्यवस्था मे घोर लापरवाही है। उपभोक्ताओ से जुड़ाव नही है। मीटर रीडिंग के लोग आते नही मनमाना काम कर जाते है। बिलिग समस्या से उपभोक्ताओ को जूझना पड रहा है। बहुतो उपभोक्ताओ का आजतक मीटर नही लगा है। दुश्वारियो का पुलिन्दा है। लेकिन उजाला है। लाइट कट गयी,लाइट आ गयी। रोशनी मे तरह,तरह की व्यापकता है। अनूभूति है। लाइट आने पर शोर होता है। जाने पर चली गयी। लो वोल्टेज,हाईबोल्टेज का भी पैमाना है। जेडी सिंह संपादक

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