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जब कृष्ण भगवान को नजर लगी तो गाय के पूंछ से उतारा गया, एक ऐसा शिक्षा मित्र जो अनाथ गायों की करता है सेवा

जौनपुर। गाय को माता कहां जाता है।हिन्दू धर्म मे गौ सेवा का महात्म्य है। पहले गायों की हर गांव हर परिवार में संख्या रहती थी। परिवार का हर सदस्य खाना खाने के पहले एक रोटी गाय को निकालते थे। खाना खाने के बाद हाथ मुंह धुलकर रोटी गाय को खिलाते थे। हर व्यक्ति की रोज की दिनचर्या रहती थी पहले संख्या होती थी।अब भी सुबह,शाम गोमाता के नख धूल को प्रणाम करने वाले है। गो माता की आत्मा से सेवा करने वाले है। संख्या घट गयी है। आज गाय और बछड़े के साथ बहुत ही अमानवीय व्यवहार हो रहा है।कुछ तो पाल पोष गाय सेवा मे लगे है तो कुछ ऐसे गाय पालक है।जो गाय का दूध पीते है। बछिया है तो उसे दूध पिलाते है। बछड़ा है तो उसे दूध के लालच बस कैसा करके जीलाते है।गाय दूध देना बंद किया तो उसे छुट्टा छोड़ दिये। गाय वृद्ध हो गयी तो उसे भी दरवाजा छुडवा दिये। सिर्फ लोग अपना स्वार्थ सिद्ध करने में जुटे है। जिस गायों के बछडो ने धरती माता को चीर कर अन्न उपजाने में सहायक बने।आज आधुनिकता के दौर मे कृषि कार्य हेतु ट्रैक्टर के आने से उनकी उपयोगिता खत्म हो गयी है।इसका मतलब यह नहीं है इस पावन पवित्र जीव के प्रति दुराव रंखा जाय। गाय सेवा मनुष्य के लिए हितकारी है।तभी तो भारत माता की भूमि पर ऐसे भी लाल है जिन्हें गो माता की चिन्ता है।देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ का गाय पालन पर जोर है। यूपी के जौनपुर जिले के सेवनडीह पसियाही खुर्द मडियाहू निवासी रामआसरे पटेल गौ माता के सेवक है।स्थानीय परिषदीय विद्यालय में शिक्षा मित्र है।शिक्षा का काम पूरा करने के बाद गाय सेवा मे जुट जाते है।खास बात यह है कि जो लोग गाय को छुट्टा छोड़ देते है,किसानों की फसल बरबाद करती है।ऐसे में यह गाय पालक उन गायों को अपने गोशाला लाते हैं और सेवा करते है।वर्तमान समय में पच्चीस गाय के आस पास गौशाला में है। सतगुरु दर्पण ने इनसे पूछा गाय सेवा क्यों करते हो तो उन्होंने कहां कि गाय माता है। हिन्दू धर्म के अनुसार हर हिन्दू को गाय पालना चाहिए। आज लोग गाय का दूध पी ले रहे है। गाय और बछड़े को फ्री छोड़ रहे है।जो खेतों में जाकर किसानों का फसल बरबाद कर रही है।कहां कि गाय माता का अपमान मुझसे देखा नहीं जा रहा था सो हमने यह कदम उठाया।गौशाला में गौ सेवा का कार्य पूज्य पिताजी चौथी राम पटेल जी भी करते रहते हैं।शिक्षा मित्र ने कहा कि गौ सेवा मनुष्य जीवन के लिए हितकारी है।
आचार्य कमलेश मिश्रा ने कहा कि गाय का दूध निकालने से पहले यदि बछड़ा/बछिया हो तो पहले उसे दूध
पिलाया जाना चाहिए।
कहां कि प्राचीन ग्रंथों में सुरभि (इंद्र के पास), कामधेनु (समुद्र मंथन के 14 रत्नों में एक), पदमा, कपिला आदि गायों का महत्व बताया गया है।
उन्होंने कहां कि गाय के पीछे के पैरों के खुरों के दर्शन करने मात्र से कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है। गाय की प्रदक्षिणा करने से चारों धाम के दर्शन लाभ प्राप्त होता है, क्योंकि गाय के पैरों चार धाम है। जिस प्रकार पीपल का वृक्ष एवं तुलसी का पौधा आक्सीजन छोड़ते है। एक छोटा चम्मच देसी गाय का घी जलते हुए कंडे पर डाला जाए तो एक टन ऑक्सीजन बनती है। इसलिए हमारे यहां यज्ञ हवन अग्नि -होम में गाय का ही घी उपयोग में लिया जाता है। प्रदूषण को दूर करने का इससे अच्छा और कोई साधन नहीं है।

धार्मिक ग्रंथों में लिखा है “गावो विश्वस्य मातर:” अर्थात गाय विश्व की माता है। गौ माता की रीढ़ की हड्डी में सूर्य नाड़ी एवं केतुनाड़ी साथ हुआ करती है, गौमाता जब धुप में निकलती है तो सूर्य का प्रकाश गौमाता की रीढ़ हड्डी पर पड़ने से घर्षण द्धारा केरोटिन नाम का पदार्थ बनता है जिसे स्वर्णक्षार कहते हैं। यह पदार्थ नीचे आकर दूध में मिलकर उसे हल्का पीला बनाता है। इसी कारण गाय का दूध हल्का पीला नजर आता है। इसे पीने से बुद्धि का तीव्र विकास होता है। जब हम किसी अत्यंत अनिवार्य कार्य से बाहर जा रहे हों और सामने गाय माता के इस प्रकार दर्शन हो की वह अपने बछड़े या बछिया को दूध पिला रही हो तो हमें समझ जाना चाहिए की जिस काम के लिए हम निकले हैं वह कार्य अब निश्चित ही पूर्ण होगा।

गौ माता का जंगल से घर वापस लौटने का संध्या का समय (गोधूलि वेला) अत्यंत शुभ एवं पवित्र है। गाय का मूत्र औषधि है। मां शब्द की उत्पत्ति गौ मुख से हुई है। मानव समाज में भी मां शब्द कहना गाय से सीखा है। जब गौ वत्स रंभाता है तो मां शब्द गुंजायमान होता है। गौ-शाला में बैठकर किए गए यज्ञ हवन ,जप-तप का फल कई गुना मिलता है। बच्चों को नजर लग जाने पर, गौ माता की पूंछ से बच्चों को झाड़े जाने से नजर उत्तर जाती है, इसका उदाहरण ग्रंथों में भी पढ़ने को मिलता है, जब पूतना उद्धार में भगवान कृष्ण को नजर लग जाने पर गाय की पूंछ से नजर उतारी गई।

गौ के गोबर से लीपने पर स्थान पवित्र होता है। गौ-मूत्र का पवन ग्रंथों में अथर्ववेद, चरकसहिंता, राजतिपटु, बाण भट्ट, अमृत सागर, भाव सागर, सश्रुतु संहिता में सुंदर वर्णन किया गया है। काली गाय का दूध त्रिदोष नाशक सर्वोत्तम है। रुसी वैज्ञानिक शिरोविच ने कहा था कि गाय का दूध में रेडियो विकिरण से रक्षा करने की सर्वाधिक शक्ति होती है। गाय का दूध एक ऐसा भोजन है, जिसमें प्रोटीन कार्बोहाइड्रेड, दुग्ध, शर्करा, खनिज लवण वसा आदि मनुष्य शरीर के पोषक तत्व पाये जाते है। गौ सेवा का कार्य बेहद प्रशंसनीय है।दास जगदीश सतगुरु धाम

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