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पुलिस हेल्प डेस्क पीडितो की बनेगी मददगार, बिचौलियों से मिलेगा निजात

प्रेस नोट
दिनांक – 26.02.2019

पुलिस थाने पर हेल्प डेस्क की अवधारणा
जौनपुर। “व्यक्ति भाव, अभाव या प्रभाव में पुलिस के पास आता है।“
स्वास्थ्य विभाग की तरह पुलिस विभाग भी एक आपातकालीन एंव त्वरित सहायता प्रदान करने वाला विभाग है। एक डॉक्टर किसी घायल/बीमार/पीड़ित को देखकर उसे एवं उसके परिजनों को सहानुभूतिपूर्वक ढॉढस बंधाकर उनकी आधी पीड़ा को हर लेता है, और फिर उपचार आरम्भ करता है। ठीक इसी तरह थाने पर मदद प्राप्त करने की आशा में पहुंचने वाले पीड़ित व्यक्ति के साथ सहानुभूतिपूर्वक एवं मित्रवत व्यवहार उसके लिए प्राथमिक उपचार का काम करता है।
देखा गया है कि थाने पर पहुंचने वाले किसी पीडित/समस्याग्रस्त व्यक्ति के समक्ष प्रथम दुविधा यह रहती है, कि अपनी समस्या बताने के लिए वह किसके पास जाए। सामान्यतः वह किसी भी वर्दीधारी व्यक्ति की तलाश करता है। पूंछते-ताछते कभी वह संतरी के पास तो कभी थाना कार्यालय पर बैठे हुए मुंशी के पास और कभी थाना प्रभारी के कार्यालय की ओर पहुंच जाता है। कभी-कभी वह भटकाव की स्थिति में आ जाता है। दूसरी ओर थाना परिसर में मौजूद किसी पुलिसकर्मी से सीधा संवाद करने के पूर्व पीड़ित के मन में परंपराजनित हिचक/भय भी आंशिक तौर पर मौजूद रहता है। क्योंकि अनेकानेक कारणों से कही न कही आमजन स्वंय को ब्रिटिश कालीन औपनिवेशिक पुलिस की छवि से पूरी तरह मुक्त नही कर पाया है। इस कारण से वह कभी-कभी बिचौलियों के चक्कर में आ जाता है। कई बार थाना परिसर के इस प्रकार के वातावरण का अनुभव सादे वस्त्रों में टेस्ट एफआईआर हेतु पहुंचे पुलिस अधिकारियों द्वारा भी किया जाता है।
आदर्श स्थिति में अपेक्षा की जाती है, कि जब भी कोई पीड़ित थाने पर पहुँचे तो सदैव कोई एक व्यक्ति सहानुभूतिपूर्वक, शालीनतापूर्वक उसकी समस्या पूछने के लिए और उसके मार्गदर्शन/सहायता के लिए सहजदृश्य स्थान पर मौजूद रहे। यह सहजदृश्य स्थान पुलिस थाने के प्रवेश द्वार पर स्थित रिसेप्शन काउंटर या हेल्प डेस्क हो सकता है। जिस प्रकार-किसी कारपोरेट ऑफिस, सर्विस सेन्टर, कम्पनी आदि के ऑफिस पर आगंतुकों के मार्गदर्शन तथा उनकी जिज्ञासाओं के सहज समाधान हेतु एक रिसेप्शन की व्यवस्था होती है जो इन्क्वायरी/सहायता केन्द्र/पूछताछ काउंटर/हेल्प डेस्क/क्या मै आपकी सहायता कर सकता हॅू/ मे आई हेल्प यू के रूप में कार्य करता है, और जहॉ पर कोई आगंतुक निर्भीकता के साथ अपनी हर जिज्ञासा का समाधान प्राप्त करता है। आगुन्तकों की समस्या के निस्तारण हेतु हेल्प डेस्क एक एकल खिड़की प्रणाली की तरह कार्य करता है।
थाने पर हेल्प डेस्क की व्यवस्था सुनिश्चित करती हैः-
पीडित व्यक्ति थाने पर भटकाव की स्थिति में न आए। पीडित के मन में यह प्रश्न न आए कि थाने पर किससे सम्पर्क करना है।
पीडित व्यक्ति को तत्परता के साथ तत्काल ही अटेण्ड किया जाए तथा सहानुभूतिपूर्वक/शालीनतापूर्वक उससे उसकी समस्या पूछी जाए तथा उसको सुना जाए।
समस्या जानकर उसके निराकरण हेतु पीडित का संपर्क दिवसाधिकारी/रात्रि अधिकारी/चौकी प्रभारी/थाना प्रभारी से कराया जाए। पीडित व्यक्ति को इनके नाम तथा मोबाईल नं0 की जानकारी देते हुए इनसे मुलाकात कराई जाए। जनशिकायत अधिकारी, हेल्प डेस्क पर पहुंचने वाले पीड़ित की समस्या के संबंध में संबंधित चौकी प्रभारी/हल्का प्रभारी/थाना प्रभारी को भी फोन द्वारा अवगत कराएंगे जिससे पीड़ित की समस्या का निस्तारण त्वरित गति से हो सके।
यदि आगुन्तक/पीडित कोई महिला है, तो उसका सम्पर्क एंव मुलाकात अविलम्ब थाने पर कार्यरत महिला पुलिस अधिकारी से कराया जाय। जहॉ महिला पुलिस अधिकारी उसकी समस्या सुने।
पीडित की समस्या अटेंड करने के साथ ही उसका सम्यक मार्गदर्शन भी किया जाए, जैसे कि-पीडित को थानाध्यक्ष का नाम तथा मो0 नं0 अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराया जाए और यह भी बताया जाए कि थाना प्रभारी उसकी समस्या सुनने हेतु किस समय उपलब्ध होगें। पीड़ित का मार्गदर्शन करते हुए यह भी अवश्य अवगत कराया जाए कि यदि थाना स्तर पर थाना प्रभारी से मिलने के बाद भी उसकी समस्या का समाधान नही हो सके, तो वह अपनी समस्या अन्य किन स्थानों पर रख सकता है। इस हेतु उसे सम्बन्धित क्षेत्राधिकारी, अपर पुलिस अधीक्षक तथा पुलिस अधीक्षक का नाम, मो0 नं0, उनके कार्यालय की लोकेशन तथा उक्त कार्यालय में सम्बन्धित पुलिस अधिकारी द्वारा जनसुनवाई के समय से भी अनिवार्य रूप से अवगत कराया जाए जिससे पीडित व्यक्ति नियत समय तथा स्थान पर अपनी समस्या लेकर पहुच सके।
पीडित की समस्या के निस्तारण हेतु प्रथम एवं सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान पुलिस थाना है। प्रायः जनपद मुख्यालय पर आने वाले शिकायतकर्ताओं द्वारा यह शिकायत की जाती है कि वह थाने पर अपनी शिकायत लेकर गए थे परंतु वहॉ कोई सुनवाई नही हुई। थाना प्रभारी से जब इस सम्बन्ध में पृच्छा की जाती है, तो उनके द्वारा यह कहा जाता है कि शिकायतकर्ता उनसे नही मिला है। कई बार पीड़ित/शिकायतकर्ता बहुत दूर-दराज के क्षेत्रों से लम्बी दूरी तय करके जनपद मुख्यालय पर पहुँचते है, जिसमें उनका समय तथा धन दोनों ही खर्च होता है। किसी भी पीड़ित व्यक्ति/शिकायतकर्ता की समस्या का निराकरण थाने पर ही हो जाना चाहिए। अतः आवश्यक है कि थाना प्रभारी पीड़ितो के प्रति अपनी उपलब्धता और अधिक सुलभ बनाये। हेल्प डेस्क पर बैठने वाले जनशिकायत अधिकारी का यह कर्तव्य है कि वह पीड़ित व्यक्ति का थाना प्रभारी से संवाद स्थापित कराने की दृष्टि से आवश्यक कार्यवाही करें। पीडित को थाना प्रभारी का नाम, नम्बर तथा थाना प्रभारी से मिलने का उचित समय बताया जाए। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि थाना प्रभारी के थाने पर उपस्थित न होने की स्थिति में जनशिकायत अधिकारी द्वारा थाना प्रभारी के वापस थाने आने पर थाना प्रभारी को उनकी अनुपस्थिति में आये हुए आगुन्तक/ शिकायतकर्ताओं / पीड़ितो का पूर्ण विवरण उपलब्ध कराया जाए। थाना प्रभारी ऐसे प्रकरणों के निराकरण की स्थिति के बारे में जानकारी करेंगे। यदि शिकायतकर्ता असंतुष्ट है, तो निराकरण की स्थिति की स्वंय समीक्षा करते हुए अपेक्षित कार्यवाही करना सुनिश्चित करेंगे, तथा पीड़ित को मुलाकात का समय देगें।
यदि किसी आवेदक द्वारा उसके द्वारा पूर्व में किसी कार्यालय में दिये गये प्रार्थना पत्र के सम्बन्ध में सामान्य जानकारियां चाही जाए तो हेल्प डेस्क पर आवश्यकतानुसार सूचनाओं की गोपनीयता बरकरार रखते हुए देय सूचना आवेदक को उपलब्ध करा दी जाए। जैसे-
(क) आवेदक का प्रार्थना पत्र थाने पर कब प्राप्त हुआ, जांच हेतु किसे भेजा गया, जांचकर्ता पुलिसकर्मी का नाम व मो0न0, जांच कितने दिवस में पूरी हो जाएगी, यदि जांच पूरी हो गई है तो जांच आख्या कब तथा किस उच्चाधिकारी कार्यालय को वापस की गई है। इसके लिये जनशिकायत अधिकारी थाने के आर्डर बुक मुंशी से समन्वय रखेंगे।
(ख) हेल्प डेस्क पर ऐसी जानकारी आवेदक के चाहे जाने पर तुरन्त उपलब्ध करा दी जाए जो देय है तथा गोपनीय नही है। अक्सर अत्यन्त सामान्य प्रकृति की जानकारी प्राप्त करने के लिए भी किसी व्यक्ति को आर. टी.आई. का सहारा लेना पडता है। जिसमें आवेदक का धन व समय दोनो खर्च होता है।

पुलिस अधीक्षक,
जौनपुर।

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