BREAKING NEWS
Home / खबर विशेष / साधना में बैठकर परमात्मा की अनुभूति की जा सकती है, शिक्षा के साथ दीक्क्षा भी जरूरी,श्री प्रकाश सिंह

साधना में बैठकर परमात्मा की अनुभूति की जा सकती है, शिक्षा के साथ दीक्क्षा भी जरूरी,श्री प्रकाश सिंह

जौनपुर। ध्यान परमात्मा से जुड़ने का माध्यम है।धर्म परम्परा में ध्यान का विशेष महत्व है।भारत के साधु, संत, महात्मा ध्यान के जरिये ईश्वर से साक्षात्कार करते हैं।आज भी हिमालय में ऐसे संत है जो ध्यान लगाकर परमात्मा रुपी आनंद को प्राप्त कर रहे है।भारत के आश्रमों में गुरुजन शिष्यों को पहले गुरमुख बनाते हैं।इसके बाद खुद ध्यान करते और शिष्यों को भी करवाते हैं।मन का स्थिर  हो जाना और विचार शून्य होकर खुद में खो जाना ही ध्यान है।आदर्श प्राथमिक विद्यालय मडियाहू के प्रधानाध्यापक श्रीप्रकाश सिंह से इस सिलसिले में बातचीत हुई तो उन्होंने कहां कि अपने को जानना ही ध्यान है।कहां कि पृथ्वी रंगमंच है।सबका रोल निर्धारित है।आज लोग माया के भ्रम में फसे है।भ्रम का त्याग कर ही साधना किया जा सकता है।साधक लोभी नहीं होता है।अनिवार्य रुप से साधना होनी चाहिए।उन्होंने कहां कि शिक्षा के साथ दीक्क्षा भी जरूरी है।दूसरों के विषय में लोग चिन्तन कर रहे है खुद के नहीं।वैदिक परम्परा से लोग दूर होते जा रहे है।आज यही वजह है परिवार बिखर रहा है।इतना तो बिल्कुल सत्य है।नियमित सुबह-शाम घन्टे दो घन्टे साधना में बैठकर परमात्मा की अनुभूति की जा सकती है। जेडी सिंह सतगुरु धाम बर्राह मड़ियाहू जौनपुर।

About jaizindaram