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सामाजिकता का मिशाल है वसुही नदी पर बना पुल,मड़ियाहू के विकास में तुलसी प्रसाद दयावंत की भूमिका अहम

जौनपुर।  सामाजिक हितों के पुरोधा सदैव याद किये जाते है। दुनिया में रहे या ना रहे। लेकिन उनके गुणों का गुणगान वक्त आने पर होता ही है। सामाजिकता भी ऐसी होनी चाहिए जिसमें सबका हित समाहित हो।  जमालापुर सीर के पास स्थित वसुही नदी पुल पर लिखे शिलापट्ट पर कुछ विशिष्ट जनों के नाम अंकित है।जो पुल के निर्माण में सहयोगी भूमिका में रहे है।पुल सन् 1930 में बनकर तैयार हुआ। पहले जौनपुर, मिर्जापुर मार्ग कच्चा था। राहगीरों का आना,जाना था।नदी में पुल न होने से लोग नाव से पार होते थे।मड़ियाहू के एक महान सामाजिक शख्सियत जिसका नाम आज भी लोग बड़े अदब और प्यार से लेते है।बहुत लोग आज भी जानते है लेकिन युवा पीढ़ी कम ही तुलसी प्रसाद दयावंत को जानतीं होगी। यह वहीं नाम है जिसने मड़ियाहू के विकास में अहम भूमिका निभाई है। पुल के शिलापट्ट पर पहला नाम आप का अंकित है। जिसमें लिखा है दयावंत जी के कठिन परिश्रम व जनता के चन्दे से तथा डिस्ट्रिक्ट बोर्ड और प्रान्तीय सरकार के आर्थिक सहयोग से वसुही नदी पर पुल बनकर तैयार हुआ है।साथ ही श्याम सुन्दर यती करमौवा,नारायण सिंह भन्नौर,गयादीन सिंह बरेठी,भगवान दास तिवारी,रमाशंकर तिवारी पाली,चौधरी शिवबापू साहू रामपुर,भगत भगवान दास ठाठर आदि लोगों का भी नाम  पुल पर लगे शिलापट्ट पर है।इसके अलावा जौनपुर नरेश कृष्ण दत्त दूबे,नबाब मोहम्मद युसुफ जौनपुर,बाबू भोलेनाथ केराकत,सूर्यपाल सिंह शेरवा बनारस स्टेट,ईश नारायण उपाध्याय शाहगंज आदि लोगों का उस समय पुल निर्माण में विशेष योगदान रहा है जैसा कि जिक्र है।लंबे समय से वसुही नदी पर बना पुल जनसेवा की कड़ी से जुड़ा हुआ है।लेकिन अब जर्जर होकर भी यातायात के बोझ को सहन कर रहा है। स्थानीय विधायिका  डा. लीना तिवारी की पहल पर उत्तरप्रदेश सरकार ने नये पुल निर्माण की स्वीकृति प्रदान किया है।संभावना है जल्द से जल्द पुल निर्माण कार्य शुरु हो जायेगा।

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