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काशी में ईश्वरीय लीला का नजारा, सांस्कृतिक इतिहास में मोदी और योगी की नई पहचान

काशी। वाराणसी। भारत में युगों,युगों से ईश्वरीय लीला होता आ रहा है। हिन्दू धर्म शांति का प्रतीक हैं मंदिर ईश्वर के जानने और अनुभूति पाने का सशक्त माध्यम है। साधु,संत,महात्मा, धर्मात्मा,तपस्वी, ज्ञानी, विज्ञानी ईश्वर से जुड़कर समय, समय पर ईश्वरीय सभ्यता का प्रतिपादन कर रहे हैऔर जीवों के कल्याणार्थ हित को साध रहे हैं। नाकारात्मक विचार धारा की जब,जब प्रबलता बढ़ती है साकारात्मकता का नूतन रुप सामने प्रकट हो जाता है। बाबा विश्वनाथ का विधान था मोदी गुजरात से आयेंगे,सांसद बनेगे और देश का प्रधानमंत्री बन भव्य और दिव्य काशी की संरचना करेगे,विश्व की सांस्कृतिक राजधानी काशी की तरफ दुनिया को आकर्षित करके बाबा विश्वनाथ के दर्शन, स्मरण, सिमरन से जनकल्याण की भावना का संचार करेंगे। अयोध्या में राम और काशी में विश्वनाथ एक दूसरे के पूरक हैं। राम शिव को भज रहे तो शिव राम को भज रहे। भारत देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी काशी विश्वनाथ धाम परियोजना का लोकार्पण करके सांस्कृतिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिये है। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने उत्तर प्रदेश के सांस्कृतिक विरासत को सहेजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं। काशी के वासी गदगद है।बनारस के बने अमृत रुपी रस का पान करके आत्मा में परमात्मा के आनंद का सुख भोग रहे हैं। जेडी सिंह संपादक सतगुरु दर्पण जौनपुर

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